अमित एक युवा इंजीनियर था, जो अपनी मेहनत और लगन से किसी भी कठिन कार्य को पूरा करने का जज़्बा रखता था। उसने एक बड़ी कंपनी में नौकरी हासिल की, जहां उसे एक जटिल प्रोजेक्ट सौंपा गया। लेकिन जब उसने काम शुरू किया, तो उसे कई तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा। टीम के अधिकतर सदस्य निराश हो चुके थे और बार-बार असफलताओं पर चर्चा कर रहे थे।
एक दिन, कंपनी के सीईओ, मिस्टर वर्मा, निरीक्षण के लिए आए। उन्होंने देखा कि अमित की टीम बार-बार यही चर्चा कर रही थी कि समस्या कितनी कठिन है और इसे हल करना लगभग असंभव है। वर्मा मुस्कुराए और अमित को पास बुलाकर बोले, अगर तुम हमेशा समस्या पर ही ध्यान दोगे, तो समाधान कभी नहीं मिलेगा। अपना ध्यान समाधान की ओर मोड़ो और देखो कि कैसे रास्ते खुलते हैं।
उनके शब्द अमित के दिल में उतर गए। उसने अपनी टीम के साथ एक नई रणनीति बनाई-अब वे केवल समस्याओं की नहीं, बल्कि संभावित समाधानों की चर्चा करने लगे। उन्होंने छोटे-छोटे हिस्सों में काम को विभाजित किया और हर चुनौती का एक-एक करके समाधान निकालना शुरू किया। धीरे-धीरे, उनका प्रोजेक्ट आगे बढ़ने लगा, और कुछ महीनों में वे उस जटिल समस्या को हल करने में सफल रहे।
जब प्रोजेक्ट पूरा हुआ, तो वर्मा ने अमित और उसकी टीम की प्रशंसा की और कहा, यही अंतर है एक सफल और असफल व्यक्ति में-जो समाधान पर ध्यान देता है, वही आगे बढ़ता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि समस्याओं पर ध्यान देने से हम केवल अटकते हैं, लेकिन समाधान खोजने पर हम सफलता की ओर बढ़ते हैं।