रायपुर, 12 जनवरी 2025। छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईएएस अधिकारी और बिलासपुर के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण अपने प्रेरक विचारों और जीवन के अनुभव साझा करने के लिए सोशल मीडिया पर खासा सक्रिय रहते हैं। हाल ही में, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, पढ़ाई की क्वालिटी महत्वपूर्ण है, पढ़ाई की क्वांटिटी नहीं। उनका यह संदेश उन छात्रों और पेशेवरों के लिए प्रेरणा बन गया है, जो समय और मेहनत के सही प्रबंधन पर जोर देते हैं।
आईएएस अवनीश शरण का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में वर्क-लाइफ बैलेंस और कार्य-घंटों पर बहस चल रही है। हाल ही में, एलएंडटी के चेयरमैन एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करने का सुझाव दिया था, जिससे वर्क-लाइफ बैलेंस पर नई चर्चा छिड़ गई।
अवनीश शरण ने अपने विचार साझा कर इस बहस में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका मानना है कि पढ़ाई और काम दोनों में गुणवत्ता का ध्यान रखना अधिक महत्वपूर्ण है। उनका यह दृष्टिकोण इस बात की पुष्टि करता है कि अधिक घंटे काम करने या पढ़ाई करने से बेहतर है कि उसे प्रभावी और सटीक तरीके से किया जाए।
2009 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण का सफर साधारण से शुरू होकर असाधारण तक पहुंचा। बिहार के एक छोटे से गांव में जन्मे अवनीश ने सीमित संसाधनों के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी में सफलता हासिल की।
आज वे अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स के माध्यम से हजारों युवाओं को प्रेरित करते हैं। अपनी पुरानी मार्कशीट और अकादमिक सफर साझा करते हुए उन्होंने यह दिखाया है कि सफलता का निर्धारण अंकों से नहीं, बल्कि प्रयास और दृष्टिकोण से होता है।
अवनीश शरण की कहानियां और विचार सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते हैं। उनकी सादगी और प्रेरक जीवनशैली लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके पोस्ट्स न केवल छात्रों, बल्कि पेशेवरों और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी मार्गदर्शक बनते हैं।
अवनीश शरण का जीवन यह संदेश देता है कि संसाधनों की कमी सफलता में बाधा नहीं बनती। उनके विचार युवाओं को यह सिखाते हैं कि मेहनत और दृढ़ता से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। क्वालिटी बनाम क्वांटिटी का उनका सिद्धांत न केवल पढ़ाई, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है।
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