लखनऊ, 25 मार्च 2025। इतिहास की धारा में सत्य और तुष्टिकरण के बीच संघर्ष नया नहीं, परंतु जब यह संघर्ष राजनीतिक मंचों तक पहुंचता है, तो उसकी गूंज दूर तक जाती है। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर की गई टिप्पणी को न केवल असत्य बताया, बल्कि इसे हर राष्ट्रवादी के लिए अपमानजनक करार दिया।
सोशल मीडिया पर राजा भैया ने अपने अंदाज में पलटवार करते हुए लिखा- राणा संग्राम सिंह, जिन्हें हम राणा सांगा के नाम से जानते हैं, वे मात्र एक शासक नहीं, बल्कि राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए सतत संघर्षशील योद्धा थे। शरीर पर 80 से अधिक घाव सहने के बावजूद, उनकी पीठ पर एक भी वार नहीं था। यह प्रमाण है कि वे रणभूमि में अंतिम सांस तक जूझते रहे।
राजा भैया ने तुष्टिकरण की राजनीति पर चोट करते हुए कहा कि- देश का दुर्भाग्य है कि कुछ लोग औरंगज़ेब जैसे क्रूर शासक का महिमामंडन करने के लिए अपने ही महानायकों को अपमानित करने में लगे हैं। यह वही औरंगज़ेब था जिसने अपने पिता को क़ैद किया, भाइयों की हत्या की और सत्ता के लिए हर मर्यादा तोड़ी। ऐसे आततायी के समर्थकों को इतिहास का पुनर्लेखन स्वीकारना होगा।
राजनीतिक गलियारों में यह बयान हलचल मचा चुका है। राजा भैया के शब्द सिर्फ़ एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि इतिहास के गौरव को पुनर्स्थापित करने की हुंकार हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रभक्तों और राष्ट्रवादियों के लिए राणा सांगा हमेशा श्रद्धा और सम्मान के पात्र रहेंगे, चाहे कोई कितना भी प्रयास कर ले, सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता।