प्रतापगढ़, 15 नवंबर 2024। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में 15 नवंबर 2024 को कार्तिक पूर्णिमा भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली गयी। यह आयोजन सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा किया गया। शहर के गोपाल मंदिर से भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा भक्तों द्वारा निकाली गई । यात्रा में हजारों नर नारी शामिल रहे भक्तगण रथ को खींच रहे थे। नृत्य करते हुए भक्तों ने शहर का भ्रमण किया। यात्रा गोपाल मंदिर से निकलकर राजापाल टंकी हनुमान मंदिर मुनीश्वर दत्त उपाध्याय चौराहे से होते हुए पुलिस लाइन के सामने से जिला परिषद के गेट तक गई। वहां से पुन: वापस लौट करके मंदिर प्रांगण में आई।
यात्रा में जगदगुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री योगेश्वराचार्य जी तथा जगदगुरु रामानुजाचार्य अवधेश प्रपन्नाचार्य शांति पीठ नई दिल्ली प्रमुख रुप से उपस्थित रहे। इसके अलावा जंगल बाबा खरवई, नारायणी रामानुज दासी, आचार्य आलोक ऋषि वंश, आचार्य प्रभाकर, डॉक्टर अवंतिका पांडे, डॉक्टर अंकिता पांडे, आरविका पांडे, छोटेलाल, राज नारायण सिंह, संत केशव रामानुज दास, धर्मराज रामानुज दास, प्रमोद रामानुज दास, रमाकांत तिवारी, विवेक पांडे, परमानंद मिश्र एडवोकेट, संतोष तिवारी एडवोकेट, कार्तिकेय द्विवेदी, अनिल त्रिपाठी, प्रभाकर पांडे, अवधेश उपाध्याय, डॉ विवेक पांडे, राजेश मिश्रा फौजी, पिंकी दयाल गुप्ता, प्रमिला शुक्ला, सरोज कश्यप, लक्ष्मी सिंह, रुचि श्रीवास्तव, रुचि केसरवानी, सारिका श्रीवास्तव, सारिका केसरवानी, रिचा केसरवानी, मिथिलेश सिंह, रिंकी केसरवानी, ऊषा गुप्ता, नीतू केसरवानी, अनीता पांडे, कमला श्रीवास्तव सहित अनेक भक्त रथ खींच रहे थे।
धमार्चार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुजदास उसने कहा कि प्रतापगढ़ जनपद के अंदर 11वीं बार भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली जा रही है। वैसे भगवान की सतयुग से श्री जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को निकल जाती है। कार्तिक महीने में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ पुरी में राज राजेश्वर के रूप में पूजन किया जाते हैं।आज संजोग ही था कि कार्तिक मास की पूर्णिमा को जब तुलसी माता का जन्म हुआ तो उसे दिन शुक्रवार था और आज भी कार्तिक पूर्णिमा को शुक्रवार है। कार्तिक मास में जो एक भी तुलसी दल से ठाकुर जी की सेवा करता है उसके पुण्य की गिनती नहीं की जा सकती और जब व्यक्ति कार्तिक में तुलसी को दीपदान करता है, तो एक सहस्त्र गायो को दान देने का पुण्य प्राप्त होता है।