लखनऊ, 11 सितंबर 2024। श्री आनंदम धाम पीठ वृंदावन के पीठाधीश्वर, सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली को सनातन धर्म और संस्कृति के लिए अभिशाप बताया है। उनका मानना है कि हमें पुरानी सनातनी शिक्षा पद्धति को पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सनातन विश्वविद्यालय की परिकल्पना की गई है, जिसे काशी में एक एकड़ में स्थापित किया जाएगा। इस विश्वविद्यालय में आधुनिक शिक्षा से अलग हटकर वैदिक, गुरुकुल और 16 संस्कारों की शिक्षा दी जाएगी।
रितेश्वर महाराज ने बताया कि इस विश्वविद्यालय में प्राचीन सनातनी शिक्षा को पुनर्जीवित किया जाएगा, जहां प्राथमिक से उच्च स्तर तक शिक्षा दी जाएगी। शिक्षा के अंतर्गत न केवल अक्षर ज्ञान बल्कि मेडिकल, आर्ट्स, कॉमर्स और आधुनिक विज्ञान की भी पढ़ाई होगी, जिससे राष्ट्र को एक दिव्य शिक्षा पद्धति के माध्यम से बचाया जा सके।
रितेश्वर महाराज ने आगे कहा कि इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए बनारस शहर से 40 से 50 किमी की दूरी पर एक एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है। इसमें 16 संस्कारों की शिक्षा दी जाएगी, जो सनातन धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उन्होंने लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति की कड़ी आलोचना की, जिसका प्रभाव भारतीय शिक्षा और मानसिकता पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली ने भारतीयों की पारंपरिक शिक्षा को समाप्त कर अंग्रेजी पद्धति को स्थापित कर दिया। आज के स्कूलों में बच्चों को केवल आर्थिक संचय की शिक्षा दी जा रही है, जो सनातन संस्कृति के मूल्यों से भिन्न है।
रितेश्वर महाराज ने आमजन से अपील की कि वे इस मुहिम से जुड़ें और सनातन संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं। साथ ही, उन्होंने सरकार से इस महत्वपूर्ण पहल में समर्थन और सहयोग की मांग की, ताकि देश में बदलाव लाया जा सके और सनातन धर्म को पुनर्जीवित किया जा सके।