प्रतापगढ़, 4 नवंबर 2024। प्रतापगढ़ के करमाही ग्राम में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह के पैतृक आवास पर श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ चल रहा है। यहां श्री धाम मठ, श्री अयोध्या के पीठाधीश्वर श्री संप्रदाय के परम विद्वान संत, जगदगुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज के श्रीमुख से कथा की दिव्य अमृत वर्षा हो रही है।
उन्होंने संतों के महत्व और श्रीमद्भागवत की महिमा पर प्रकाश डाला। संत राघवाचार्य जी ने कहा, संतों का सान्निध्य जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। उनके चरित्र से जीवन को नई दिशा और स्वर मिलता है। उन्होंने बताया कि केवल ब्राह्मण, विरक्त, और वैष्णव से ही श्रीमद्भागवत का श्रवण करना चाहिए।
संत राघवाचार्य जी ने कहा कि श्री कृष्ण के चरणों में प्रेम और निष्काम भक्ति ही सर्वोत्तम धर्म है। उन्होंने लोगों को प्रेरित करते हुए कहा कि निंदा किसी की न करें, निष्ठा हमेशा एक में रखें। उन्होंने समझाया कि जैसे वृक्ष की जड़ में पानी देने से सभी पत्ते हरे-भरे हो जाते हैं, वैसे ही भगवान श्री कृष्ण की आराधना से अन्य सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
उन्होंने श्रीमद्भागवत में बताए गए 24 अवतारों और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया। राम और कृष्ण को एक ही बताते हुए कहा कि दोनों में कोई अंतर नहीं है, दोनों का स्मरण मानव जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है। उन्होंने यह भी बताया कि विपत्ति का वास्तविक अर्थ गोविंद को भूल जाना है और गोविंद का स्मरण ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है।
संत राघवाचार्य जी ने महाभारत की कथा से उदाहरण देकर बताया कि श्री कृष्ण का उपदेश तभी सार्थक होता है जब शिष्य भाव से उसे ग्रहण किया जाए। उन्होंने सभी को नित्य जीवन में भगवान का स्मरण करने और संतों की संगति करने का महत्व बताया।
संत का स्वागत और श्रद्धालुओं का उत्साह
कथा आयोजन में मुख्य यजमान विजय नारायण सिंह और श्रीमती अमृता सिंह ने अपने परिवार सहित संत राघवाचार्य जी का स्वागत किया। धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने संत राघवाचार्य जी का माल्यार्पण कर उन्हें अंगवस्त्र और श्री जगन्नाथ पुरी से लाए गए महाप्रसाद से सम्मानित किया।
इस अवसर पर जनपद प्रतापगढ़ के श्री संप्रदाय के भक्त, उदासीन अखाड़ा के महंथ स्वामी भरतदास, प्रदेश सरकार के मंत्री मंयेकेश्वर शरण सिंह, महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री कृपाशंकर सिंह, विधायक राकेश प्रताप सिंह सहित भारी संख्या में जनसमुदाय मौजूद रहा।