नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच सेमीकंडक्टर निर्माण को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इसके तहत कोलकाता में सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित किया जाएगा, जिसे शक्ति नाम दिया गया है। यह प्लांट भारतीय और अमेरिकी रक्षा बलों के साथ-साथ अन्य सहयोगी सेनाओं को उन्नत इलेक्ट्रॉनिक चिप्स की आपूर्ति करेगा। 2025 तक इस परियोजना पर काम शुरू होने की उम्मीद है, जो भारत की रक्षा और तकनीकी क्षमताओं को एक नई दिशा देगा।
कौन करेगा प्लांट की स्थापना
इस प्लांट का विकास भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत होगा, जिसमें भारतीय स्टार्टअप 3rdiTech, अमेरिकी अंतरिक्ष बल, और भारत सेमी की भागीदारी वाली रणनीतिक साझेदारी शामिल है। 3rdiTech, विनायक डालमिया और वृंदा कपूर के नेतृत्व में काम कर रहा है और यह पहले भी भारतीय सेना और अमेरिकी रक्षा संगठन जनरल एटॉमिक्स के साथ कई परियोजनाओं पर काम कर चुका है। इस समझौते को तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, हालांकि विस्तृत जानकारी अभी सामने आनी बाकी है।
प्लांट में क्या होगा निर्माण
- सेमीकंडक्टर प्लांट में सेंसिंग इंफ्रारेड चिप्स, पावर इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और संचार रेडियो आवृत्ति चिप्स का निर्माण होगा।
- सेंसिंग इंफ्रारेड चिप्स का उपयोग नाइट विजन, ड्रोन, हथियार साइट्स और स्पेस सेंसर के लिए किया जाएगा।
- पावर इलेक्ट्रॉनिक चिप्स का उपयोग उपग्रह, ड्रोन, इलेक्ट्रिक वाहन और रेलवे इंजनों में किया जाएगा।
- संचार रेडियो आवृत्ति चिप्स का उपयोग सैन्य संचार, रडार, 5जी/6जी दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैमर में होगा।
इस प्लांट से भारत के सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।
रोजगार के अवसर
इस सेमीकंडक्टर प्लांट के निर्माण से रोजगार के बड़े अवसर खुलेंगे। निर्माण के पहले चरण में हर साल करीब 50,000 चिप्स का उत्पादन किया जाएगा और इसमें लगभग 700 लोग काम करेंगे। इसके अलावा, सरस्वती ज्ञान केंद्र में हर साल 100 लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। दुर्गा डिजाइन केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें करीब 250 लोग कार्यरत होंगे। यह कदम भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है, जिसे 2026 तक 33,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।
भारत-अमेरिका की प्रतिक्रियाएं
इस समझौते पर अमेरिका और भारत दोनों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई हैं। व्हाइट हाउस ने इस समझौते को राष्ट्रीय सुरक्षा और अगली पीढ़ी के दूरसंचार व हरित ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए उन्नत संवेदन, संचार और विद्युत इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित एक प्रमुख पहल कहा।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, यह कदम दिखाता है कि भारत अब न केवल प्रतिभा का भंडार है, बल्कि सेमीकंडक्टर निर्माण में भी प्रवेश कर रहा है, जो हमारी तकनीकी क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
यह सेमीकंडक्टर प्लांट न केवल भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगा, बल्कि इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग को भी एक नया आयाम देगा।