रायपुर, 10 दिसंबर 2024। मानवाधिकार दिवस के अवसर पर हिदायतउल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में शेपिंग ट्रुथ्स: नेक्सेस आफ मीडिया, एआई एंड ह्यूमेन विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मीडिया के प्रभाव पर गहन चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि टेक्नोलॉजी का उपयोग मानवता की सेवा और सशक्तिकरण के लिए होना चाहिए, न कि इसके विपरीत।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जॉन जोसेफ ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने अपने संबोधन में एआई ड्राइवेन जर्नलिज्म और बैलेंसिंग इनोवेशन विथ इथिकल रिपोर्टिंग जैसे विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने मीडिया के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाए हैं। हालांकि, इनोवेशन के साथ नैतिकता का संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है।
जॉन जोसेफ ने अपने संबोधन में बताया कि एआई आधारित पत्रकारिता ने कंटेंट निर्माण को आसान बना दिया है। समाचारों का संकलन, संपादन और वितरण अब अधिक तेज और सटीक हो रहा है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे एआई की मदद से डेटा का विश्लेषण करके जटिल रिपोर्टिंग को सरल बनाया जा सकता है। लेकिन, उन्होंने चेताया कि अगर इसका दुरुपयोग हुआ तो यह फेक न्यूज, भ्रामक सूचनाओं और सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है।
उन्होंने कहा, एआई के विकास ने मीडिया को शक्तिशाली बनाया है, लेकिन इस शक्ति का उपयोग मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए होना चाहिए।
पारदर्शिता और निष्पक्षता जरूरी : प्रो. विवेकानंदन
सेमिनार के उद्घाटन भाषण में हिदायतउल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. वीसी विवेकानंदन ने मेनुफैक्चरिंग कंसेंट- एआई ड्राइवेन एम्प्लीफिकेशन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि एआई के जरिए सूचनाओं को बढ़ावा देना आज के दौर की हकीकत बन गई है।
उन्होंने कहा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और अन्य डिजिटल माध्यमों पर सूचनाओं का प्रसार एआई एल्गोरिदम के जरिए नियंत्रित होता है। यह न केवल सूचनाओं के चयन में पक्षपात को जन्म दे सकता है, बल्कि समाज में गलतफहमियां और असमानता भी बढ़ा सकता है।
प्रो. विवेकानंदन ने इस बात पर भी बल दिया कि एआई आधारित सूचनाओं को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना जरूरी है ताकि यह मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ काम न करे।
डीप फेक और मीडिया मैनिपुलेशन पर चर्चा
कार्यक्रम में डायरेक्टर डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने डीप फेक एंड मीडिया मैनिपुलेशन विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि डीप फेक तकनीक के जरिए नकली वीडियो और आडियो तैयार करना अब बेहद आसान हो गया है। इस तकनीक का उपयोग न केवल फेक न्यूज फैलाने में किया जा सकता है, बल्कि इससे लोगों की छवि को भी खराब किया जा सकता है।
डॉ. श्रीवास्तव ने कहा, डीप फेक तकनीक न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामूहिक रूप से समाज को गुमराह करने के लिए खतरनाक हो सकती है। मीडिया संगठनों और टेक्नोलॉजी कंपनियों को इस खतरे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
उन्होंने समाधान के रूप में जागरूकता अभियान और सख्त नियम-कानून की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि टेक्नोलॉजी का उपयोग सकारात्मक बदलाव लाने के लिए किया जाना चाहिए।
टेक्नोलॉजी का सही दिशा में हो उपयोग
सेमिनार में उपस्थित सभी विशेषज्ञों ने इस बात पर सहमति जताई कि टेक्नोलॉजी और एआई का सही दिशा में उपयोग समाज के लिए फायदेमंद हो सकता है। कार्यक्रम के अंत में अभिनव कुमार शुक्ल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
उन्होंने कहा, इस सेमिनार ने हमें यह सिखाया कि टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में नैतिकता और मानवता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
सार संक्षेप
कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट रूप से सामने आया कि मीडिया, टेक्नोलॉजी और एआई का सही उपयोग न केवल मानवाधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि यह समाज में सच्चाई और विश्वास को बनाए रखने में भी मददगार हो सकता है। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि इनोवेशन को जिम्मेदारी के साथ अपनाने की जरूरत है।
सेमिनार ने प्रतिभागियों को मीडिया और टेक्नोलॉजी के वतर्मान और भविष्य पर सोचने के लिए प्रेरित किया और यह स्पष्ट किया कि मानवता की सेवा के लिए टेक्नोलॉजी को सही दिशा में कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है।