प्रयागराज, 9 अक्टूबर 2024। समाजवादी पार्टी ने फूलपुर विधानसभा के उपचुनाव में बड़ा दांव खेलते हुए एक बार फिर मुज्तबा सिद्दीकी को अपना प्रत्याशी बनाया है। बुधवार 9 अक्टूबर की दोपहर में जारी उम्मीदवारों की सूची में मुज्तबा का नाम दूसरी बार शामिल किया गया है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था, जहां उन्होंने भाजपा के प्रवीण पटेल को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि मामूली अंतर से वह हार गए थे।
मुज्तबा सिद्दीकी का राजनीतिक करियर काफी दिलचस्प रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में, जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी, तब उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन बाद में बसपा से उनका मोहभंग हो गया, और उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। उनके सपा में शामिल होने के बाद, बसपा ने उन्हें निलंबित कर दिया था। मुज्तबा ने सपा की सदस्यता विधायक हाकिमचंद बिंद के साथ ली थी, जिससे उनकी राजनीति में एक नई शुरुआत हुई।
सपा द्वारा मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा किए जाने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा फूलपुर सीट से कुर्मी बिरादरी के किसी नेता को टिकट दे सकती है। कुर्मी वोटर इस क्षेत्र में निर्णायक माने जाते हैं, और इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा जातिगत समीकरण साधने की कोशिश कर सकती है। भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में पूर्व विधायक दीपक पटेल, विक्रमाजीत सिंह पटेल, कविता पटेल और गोल्डी पटेल जैसे नाम प्रमुख दावेदारों के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव में मुज्तबा सिद्दीकी ने भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान सांसद प्रवीण पटेल को कड़ी चुनौती दी थी। उस समय भी यह सीट भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर वाली रही थी। हालांकि, मुज्तबा मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे, लेकिन उन्होंने अपनी राजनीतिक पकड़ और जनसमर्थन को मजबूत बना लिया।
फूलपुर का उपचुनाव न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य की राजनीति में भी खासा महत्व रखता है। इस क्षेत्र में सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना है, और जातिगत समीकरण इस चुनाव में एक अहम भूमिका निभाएंगे। सपा ने जहां मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा कुर्मी वोटों को साधने के प्रयास में है, जिससे यह मुकाबला बेहद रोचक और संवेदनशील हो गया है।
अब देखना यह होगा कि क्या मुज्तबा सिद्दीकी इस बार भाजपा के खिलाफ अपनी पिछली हार का बदला ले पाएंगे, या भाजपा कुर्मी वोट बैंक पर दांव खेलकर इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखेगी।