रायपुर, 28 फरवरी 2025। छोटी उम्र, बड़े सपने और उनसे भी बड़ी कामयाबी! छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाल वैज्ञानिक श्रीधर सनाढ्य ने अपनी मेहनत और अद्वितीय सोच से इतिहास रच दिया है। मात्र सातवीं कक्षा के इस होनहार छात्र के एडजस्टेबल फ्लेम प्रोजेक्टिंग डिवाइस को भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है। यह उपलब्धि केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है।
आविष्कार जो बदलेगा भविष्य
श्रीधर द्वारा विकसित यह डिवाइस लौ की तीव्रता को नियंत्रित कर सकती है, जिससे ऊर्जा की बचत होगी और सुरक्षा भी बढ़ेगी। यह इनोवेशन कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, खासकर इंडस्ट्रियल सेक्टर, होम अप्लायंसेज और सेफ्टी इक्विपमेंट्स में। इतनी छोटी उम्र में ऐसा इनोवेशन करना, वैज्ञानिक दुनिया के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल बन गया है।
बचपन से ही थी वैज्ञानिक सोच
श्रीधर की इस उपलब्धि के पीछे उनके माता-पिता का भी विशेष योगदान रहा। उनके पिता श्रीकांत सनाढ्य चिकित्सा विशेषज्ञ हैं, जबकि माता डॉ. आकांक्षा सनाढ्य रुंगटा कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उनके घर का माहौल हमेशा शिक्षा और रिसर्च को बढ़ावा देने वाला रहा, जिससे श्रीधर को नई चीजों को समझने और उनके पीछे के विज्ञान को जानने की जिज्ञासा बचपन से ही रही।
छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का पल
श्रीधर ने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। उनके इस इनोवेशन ने न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में यह संदेश दिया है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो उम्र कोई बाधा नहीं बनती। उनके इस आविष्कार से विज्ञान की दुनिया में एक नया नाम जुड़ गया है, और अब सबकी निगाहें इस होनहार बाल वैज्ञानिक के भविष्य के आविष्कारों पर हैं।
आज पेटेंट, कल नोबेल
श्रीधर की यह उपलब्धि केवल एक शुरुआत है। अगर उनकी यह जिज्ञासा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण इसी तरह बना रहा, तो वह निश्चित रूप से आगे चलकर और भी बड़े इनोवेशन करेंगे। आज उनका नाम छत्तीसगढ़ की सीमाओं से बाहर निकलकर देशभर में गूंज रहा है—क्या पता, आने वाले वर्षों में यह नाम वैश्विक विज्ञान मंच पर भी चमके!