IAS प्रिया रानी की संघर्ष और सफलता की कहानी
नई दिल्ली, 10 जनवरी 2025। गांव के लोग उनकी पढ़ाई के खिलाफ थे, लेकिन प्रिया रानी की जिद और उनके दादा सुरेंद्र प्रसाद शर्मा का अडिग समर्थन उन्हें सफलता के शिखर तक ले गया। बिहार के फुलवारी शरीफ के कुरकुरी गांव की प्रिया रानी आज IAS अधिकारी बनकर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
प्रिया रानी के पिता अभय कुमार एक किसान हैं। आर्थिक सीमाओं और सामाजिक विरोध के बावजूद प्रिया ने पढ़ाई में कभी समझौता नहीं किया। गांव के लोग उनकी पढ़ाई के खिलाफ थे, लेकिन उनके दादाजी ने हर मुश्किल में उनका साथ दिया। उन्होंने प्रिया की शिक्षा को प्राथमिकता दी और उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए पटना भेजा।
पटना में प्रिया ने डॉन बॉस्को स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा ली और फिर सेंट माइकल स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद उन्होंने 2018 में बीआईटी मेसरा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें पढ़ाई में हमेशा आगे रखा।
बीटेक के बाद प्रिया को बेंगलुरु में एक प्रतिष्ठित कंपनी में आकर्षक सैलरी पर नौकरी मिली। लेकिन उनका सपना सिविल सर्विस में जाने का था। अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया। हालांकि, यह फैसला परिवार के कुछ सदस्यों को स्वीकार नहीं था, लेकिन प्रिया अपने सपने पर अडिग रहीं।
प्रिया ने यूपीएससी परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की। चार प्रयासों के बाद, 2023 में उन्होंने 69वीं रैंक हासिल कर IAS अधिकारी बनने का सपना साकार किया। 2021 में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने 284वीं रैंक प्राप्त की थी और इंडियन डिफेंस सर्विस में चुनी गई थीं।
प्रिया कहती हैं, यूपीएससी की तैयारी में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने तैयारी के दौरान हर दिन सुबह 4 बजे उठने की आदत डाली। NCERT की किताबें, अखबार, और इकोनॉमिक्स विषय पर खास ध्यान दिया। वह मानती हैं कि कड़ी मेहनत और सही रणनीति से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
प्रिया का कहना है, हर व्यक्ति को अपने सपने के लिए समाज की परवाह किए बिना मेहनत करनी चाहिए। परिवार और खुद पर विश्वास रखकर लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है।
प्रिया रानी की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो समाज के विरोध और कठिन परिस्थितियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखते हैं।