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गरीबी से संघर्ष किया, शिक्षा को मूल मंत्र माना और डिलीवरी बॉय बन गया जज

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नई दिल्ली, 7 जनवरी 2025। गरीबी से संघर्ष किया, शिक्षा को मूल मंत्र माना और 29 साल की उम्र में डिलीवरी बॉय जज बन गया। केरल के यासीन मोहम्मद शाह की यह कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो गरीबी में रहकर बड़े सपने देख रहे हैं। इस सपने को साकार करने का एक ही मंत्र है वह है शिक्षा, जिसे यासीन मोहम्मद शाह ने अपनाया।

कभी अखबार, कभी दूध बेचकर और कभी डिलीवरी बॉय बनकर गुजार बसर करने वाले यासीन ने 29 साल की आयु तक संघर्ष और सपनों दोनों को जिया। उनके अनुसार, महान मलयालम कवि चंगमपुषा की इन पंक्तियों के रूप में जीवन को देखते हैं, जीवन जीकर मैं जीवन से वह सब कुछ प्राप्त करूंगा, जो जीवन देने से हिचकिचाता है।

यसीन शाह मोहम्मद ने केरल न्यायिक सेवा परीक्षा 2024 में दूसरा स्थान हासिल किया। वह अब सिविल जज बनने के योग्य हैं। यह उपलब्धि किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, जिसमें कभी हार न मानने वाला जज्बा उनका जज्बा उन्हें डिलीवरी बॉय से मजिस्ट्रेट बनने के अद्भुत सफर तक ले गया। यसीन का जीवन बचपन से ही चुनौतियों से भरा रहा।

जब वह सिर्फ 3 साल के थे, तभी उनके पिता ने परिवार को छोड़ दिया। मुश्किल से 19 साल उम्र की उनकी मां ने यसीन के अलावा उनके छोटे भाई और दादी की भी देखभाल की। वे एक टूटी-फूटी घर में रहते थे। हालांकि राज्य सरकार की आवास योजना के तहत उन्हें एक छोटा सा घर मिला, लेकिन उनका जीवन कभी भी आसान नहीं था।

यासीन का दिन 6 से 16 साल उम्र तक, कुछ इस तरह बीतता था- वे सुबह 4 बजे उठते और 10 किलोमीटर के इलाके में अखबार बांटते; 7 बजे से वे आस-पड़ोस में दूध पहुंचाते और फिर स्कूल जाते।

जब वह 6 छह साल के थे, तब उनकी मां दूध बेचकर गुजारा करती थीं। उन्हें याद है कि उनकी मां ने दो दुधारू गायें खरीदीं और सुबह-शाम कई किलोमीटर पैदल चलकर दूध बेचती थीं। यसीन ने भी छह साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया और वह मेहनत करने से भी नहीं कतराते थे।

यासीन ने पैसे कमाने के लिए दूध बेचने वाले, पत्थर तोड़ने वाले मजदूर, अखबार वाले, पेंटर, केटरिंग स्टाफ, जोमैटो फूड डिलीवरी बॉय और कई अन्य छोटे-मोटे काम किए। वह अपनी पुरानी किताबों से पढ़ाई करते, दूसरों के पुराने कपड़े पहनते और जो भी मिलता उसको खा लेते थे।

यसीन ने कक्ष 12वीं के बाद शोरानूर के एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा कोर्स को लेकर एडमिशन लिया। अपनी डिग्री के अंतिम साल में उन्होंने राज्य विधि प्रवेश परीक्षा के बारे में सुना और उसके लिए तैयारी करने का फैसला किया। एक साल गुजरात में काम करने के बाद वे वापस आए और लोक प्रशासन में डिग्री कोर्स में दाखिला लिया।

यासीन ने अपनी इच्छा के अनुसार केरल में ही एर्नाकुलम के प्रतिष्ठित सरकारी लॉ कॉलेज में 46वीं रैंक के साथ एडमिशन प्राप्त किया। उनके एर्नाकुलम में पढ़ने का एक और कारण था। कॉलेज के बाद देर रात 2 बजे तक वे फूड डिलीवरी ऐप्स के लिए डिलीवरी बॉय से जुड़ा काम भी करते थे। जोमैटो के लिए डिलीवरी बॉय का काम भी कर चुके पलक्कड़ के इस युवक के लिए असली संघर्ष उनकी शैक्षणिक विफलता पर काबू पाना था। बचपन में उन्हें शिक्षा का महत्व समझ नहीं आया था।

वह अपनी यात्रा के बारे में कहते हैं, कई लोगों के लिए यह आश्चर्य की बात थी कि एक गणित, अंग्रेजी और हिंदी में लगातार फेल होने वाला औसत से कम छात्र, जिसे 12वीं कक्षा में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी, इतने लंबे समय तक पढ़ाई कर सका और आखिरकार जज बना।

उन्होंने कहा, मैं अंग्रेजी में सहज नहीं था क्योंकि मैंने मलयालम माध्यम के स्कूल में पढ़ाई की थी। एक पेपर पूरी तरह से अंग्रेजी में था जिसे पास करना मेरे लिए वाकई मुश्किल था।

यसीन ने मार्च 2023 में एक वकील के रूप में नामांकन कराया और बाद में पट्टांबी-मुंसिफ मजिस्ट्रेट अदालत में एडवोकेट शाहुल हमीद पीटी के अधीन काम करना शुरू किया।

एक बार परीक्षा देने पर उन्हें 58वीं रैंक मिली थी, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली, इसलिए उन्होंने अगले साल फिर से परीक्षा दी और दूसरी रैंक हासिल की।

Ramesh Pandey

मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। पत्रकारिता मेरा मिशन भी है और प्रोफेशन भी। सत्य और तथ्य पर आधारित सही खबरें आप तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। आप हमारी खबरों को पढ़ें और सुझाव भी दें।

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