पंडित सूर्यबली पांडे ने निभाई थी लोकतंत्र की रक्षा में प्रमुख भूमिका

लालगंज में स्वतंत्रता सेनानी पंडित सूर्यबली पांडे का 103वां जन्मदिवस सद्भावना दिवस के रूप में मनाया गया

प्रतापगढ़, 8 नवंबर 2024। लालगंज तहसील सभागार में सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा 7 नवंबर को आयोजित कार्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं गांधीवादी विचारक पंडित सूर्यबली पांडे का 103वां जन्मदिवस सद्भावना दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकतंत्र रक्षक सेनानी पंडित राम सेवक त्रिपाठी ने की, जिन्होंने दीप प्रज्वलित कर पंडित सूर्यबली पांडे को श्रद्धांजलि अर्पित की। अध्यक्ष ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को स्मरण करते हुए कहा कि वे सभी केवल देश को स्वतंत्रता दिलाने की लालसा रखते थे।

पंडित सूर्यबली पांडे की जीवन यात्रा

पंडित सूर्यबली पांडे न केवल एक गांधीवादी विचारक बल्कि विनोबा भावे के शिष्य भी थे। उन्होंने गांधी जी के विचारों को आत्मसात किया और सर्वोदयी विचारधारा से प्रेरित होकर भूदान आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने प्रतापगढ़ से शाहगंज तक की पैदल यात्रा की, जिसमें पंडित राम लखन पाठक और रामकिंकर सरोज जैसे प्रमुख नेता भी उनके साथ थे।

1975 के आपातकाल के दौरान पंडित सूर्यबली पांडे ने लोकतंत्र की रक्षा में प्रमुख भूमिका निभाई। इस आंदोलन के दौरान हजारों लोग उनके नेतृत्व में जेल गए, और खुद पंडित जी को प्रतापगढ़ से अलीगढ़ जेल भेज दिया गया। इसी बीच उनके घर में डकैती भी हुई, परन्तु उन्होंने अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। उन्हें 1977 में जनता पार्टी से लोकसभा का टिकट मिला, लेकिन विनोबा भावे के चुनाव के प्रति विचार का सम्मान करते हुए उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।

समाज के प्रति योगदान

पंडित सूर्यबली पांडे अपने संपूर्ण जीवन में ईमानदार और संघर्षशील अधिवक्ता के रूप में जाने गए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ आपातकाल में भी 19 महीने जेल में बिताए, जो उन्हें एक सच्चे लोकतंत्र रक्षक सेनानी बनाता है। उनकी विचारधारा और त्याग ने उन्हें प्रतापगढ़ में समाज सेवा के क्षेत्र में एक सम्मानित स्थान प्रदान किया।

लालगंज का गौरवपूर्ण इतिहास

कार्यक्रम के आयोजक ओम प्रकाश पांडे ने बताया कि लालगंज की धरती धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के जन्म स्थान के रूप में पावन है। इस जनपद के कई स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी देश की आजादी के बाद भी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। इनमें पंडित सूर्यबली पांडे, डॉक्टर राजेश्वर सहाय त्रिपाठी, और स्वामी करपात्री जी का नाम प्रमुख है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी जनपद के कई स्वतंत्रता सेनानी और आपातकाल में जेल गए वीर सपूत इसी लालगंज से थे।

अतिथियों का सम्मान

इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों और पत्रकार बंधुओं को माल्यार्पण कर सद्भावना सम्मान रत्न से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित अधिवक्ता वर्ग में अवधेश सिंह, राधा रमण शुक्ला, रामलाल अंबेडकर, बेनीलाल शुक्ला, और कई अन्य प्रतिष्ठित अधिवक्ता शामिल थे।

सभी ने पंडित सूर्यबली पांडे को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान का स्मरण किया। कार्यक्रम का संचालन विकास मिश्रा ने किया।