नई दिल्ली, 24 मार्च 2025। सूरज की तपिश जब शहरों को झुलसाने लगे, तो क्या सिर्फ अस्थायी छांव ही पर्याप्त होगी? भारत के नौ प्रमुख शहरों में गर्मी से बचाव के इंतजामों की पड़ताल करती सस्टेनेबल फ्यूचर्स कोलैबोरेटिव (एसएफसी) की रिपोर्ट कहती है कि उपाय तो किए जा रहे हैं, लेकिन दीर्घकालिक रणनीति नदारद है।
दिल्ली से मुंबई और सूरत से लुधियाना तक, तपिश की मार झेलते शहरों में फिलहाल किए जा रहे उपायों में जल आपूर्ति, कार्यस्थल समय में बदलाव और अस्पतालों की तैयारियां शामिल हैं। मगर, ग्रीन कवर बढ़ाने, गर्मी सहन करने योग्य इमारतों और ऊर्जा व्यवस्था को मजबूत करने जैसे स्थायी समाधान नीति निर्माताओं की प्राथमिकता सूची में दूर नजर आते हैं।
रिपोर्ट यह भी उजागर करती है कि नगर निकायों और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है। हीट एक्शन प्लान पर काम तो हो रहा है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण ये योजनाएं कागजों तक ही सीमित हैं।
ये हैं 9 शहर
- बेंगलुरु
- दिल्ली
- फरीदाबाद
- ग्वालियर
- कोटा
- लुधियाना
- मेरठ
- मुंबई
- सूरत
राहत से समाधान की ओर
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अगर आने वाले वर्षों में हीटवेव से होने वाली मौतों और स्वास्थ्य संकट को रोकना है, तो उसे आगे बढ़कर दीर्घकालिक समाधान अपनाने होंगे।
✅ ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर: शहरी हरियाली को बढ़ावा देना।
✅ पारिस्थितिकी अनुकूल इमारतें: ऐसी संरचनाएं जो गर्मी को सहने योग्य बनाएं।
✅ आपदा प्रबंधन निधि: हीटवेव से बचाव के लिए पर्याप्त बजट सुनिश्चित करना।
✅ हीट ऑफिसर्स की नियुक्ति: गर्मी से जुड़ी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए।
✅ शहरी नियोजन में सुधार: सबसे अधिक प्रभावित इलाकों को प्राथमिकता देना।
अगर भारत अब भी सिर्फ तात्कालिक उपायों पर केंद्रित रहा, तो भीषण गर्मी आने वाले वर्षों में और खतरनाक रूप ले सकती है। सवाल यह है कि क्या हम आज सही कदम उठाएंगे या कल के संकट का इंतजार करेंगे?