पीबीपीजी कॉलेज में शिक्षकों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ उठाई आवाज

पीबीपीजी कॉलेज में शिक्षकों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ उठाई आवाज

Pratapgarh

प्रतापगढ़, 21 सितंबर 2024। पीबीपीजी कॉलेज सिटी में एआइफुक्टो (अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संगठन) के आह्वान पर जिले के शिक्षकों ने सरकार की शिक्षा एवं शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को लेकर सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो उन्हें आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।

प्रमुख मांगें

प्रदर्शन में शिक्षकों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया। महाविद्यालय इकाई के अध्यक्ष प्रो. ब्रह्मानंद प्रताप सिंह ने शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु को 65 वर्ष किए जाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षकों को और अधिक समय तक शिक्षा जगत में योगदान देने का अवसर देगा।

प्रो. रामराज ने स्नातक शिक्षकों को भी शोध गाइड बनने का समान अवसर प्रदान करने की बात कही। उनका मानना है कि इस तरह की समानता से शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और शोध को बढ़ावा मिलेगा।

अन्य प्रमुख मुद्दे

अनुदानित महाविद्यालय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. शिव प्रताप सिंह ने सरकार द्वारा पांच पीएचडी इंक्रीमेंट न दिए जाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षक शोध के प्रति हतोत्साहित हो रहे हैं और यह शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

प्रासुऑक्टा (प्रोविंशियल एसोसिएशन ऑफ कॉलेज टीचर्स) के उपाध्यक्ष डॉ. प्रणव ओझा ने स्थानांतरण में भ्रष्टाचार रोकने के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की बाध्यता समाप्त करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने पुरानी पेंशन की बहाली की बात भी जोर-शोर से उठाई।

डॉ. देवेश सिंह ने कहा कि शिक्षा का बजट 10% तक बढ़ाया जाए ताकि शिक्षण संस्थानों को पर्याप्त संसाधन मिल सकें। उन्होंने नीट और सीयूटी जैसी केंद्रीय परीक्षाओं को समाप्त करने की भी मांग की, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा हो सके।

शिक्षा क्षेत्र में सुधार की मांगें

प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने विभिन्न सुधारों की भी मांग की। प्रासुऑक्टा के वरिष्ठ संयुक्त मंत्री डॉ. अखिलेश मोदनवाल ने शिक्षकों को कैशलेस स्टेट हेल्थ कार्ड प्रदान करने की मांग की, जिससे उनकी चिकित्सा जरूरतों का ध्यान रखा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि शैक्षणिक अवकाश की तुलना प्रशासनिक छुट्टियों से नहीं की जानी चाहिए, जिससे छात्रों को उनके सर्वांगीण विकास के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

डॉ. श्रद्धा श्रीवास्तव ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अस्थायी शिक्षकों की सेवा शर्तों में बदलाव की मांग की, ताकि अस्थायी शिक्षकों को बेहतर सुरक्षा और सम्मान मिल सके।

संगठन और सहयोग

इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजीव कुमार सिंह ने किया, और अन्य प्रमुख शिक्षक जैसे रश्मि सिंह, डॉ. वंदना सिंह, डॉ. चेत प्रकाश पांडेय, डॉ. कृष्ण कुमार सिंह, डॉ. राकेश सिंह, नीरज पांडेय, डॉ. नीरज त्रिपाठी, डॉ. जितेंद्र कुमार सैनी, और डॉ. शिव कुमार सिंह भी इसमें सक्रिय रूप से उपस्थित रहे।

शिक्षकों ने अपने विरोध प्रदर्शन के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर उनकी मांगों को जल्द से जल्द नहीं सुना गया, तो उन्हें आंदोलन के बड़े चरणों की ओर बढ़ना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से उम्मीद जताई है कि वह शिक्षकों और शिक्षा के हित में सकारात्मक कदम उठाएगी।