भोपाल, 1 सितंबर 2024। भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी अनुराधा शंकर ने स्पष्ट किया कि पुलिस का मुख्य कार्य अपराध या घटना की जांच कर उसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना है, न कि किसी को सजा देना या माफ करना। यह बात उन्होंने 31 अगस्त को भोपाल में लेखक स्वाति तिवारी की पुस्तक ‘सुपरचार्ज योर डेस्टिनी’ के विमोचन के अवसर पर कही।
अनुराधा शंकर, जिन्होंने पुलिस सेवा के दौरान अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है, ने अपने संबोधन में कहा कि अपराधी के दोषी होने या न होने का निर्णय करना अदालत का काम है। पुलिस का कर्तव्य है कि वह अपराध की निष्पक्ष जांच करे और सबूतों के आधार पर मामले को आगे बढ़ाए। सजा देने या माफ करने का अधिकार केवल न्यायालय को है।
पुस्तक ‘सुपरचार्ज योर डेस्टिनी’ पर चर्चा करते हुए श्रीमती शंकर ने व्यक्तिवाद के इस युग में सहयोगवाद की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता की भावना ने समाज को नुकसान पहुंचाया है, और सहयोग ही समाज को सही दिशा दिखा सकता है। उन्होंने पुस्तक के हिंदी संस्करण की आवश्यकता पर भी बल दिया।
प्रकाशक ‘हे हाउस’ और ‘क्लब लिटरेटी’ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में लेखिका स्वाति तिवारी ने अपनी पुस्तक के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक 40 अव्यक्त शक्तियों, जिन्हें ‘सुपरपावर’ कहा जाता है, के बारे में जानकारी देती है। पुस्तक आत्म-सुधार और व्यक्तिगत विकास के लिए आंतरिक शक्तियों की पहचान करने की क्षमता पर केंद्रित है।
कार्यक्रम में भोपाल के एक प्रतिष्ठित कॉलेज के प्रोफेसर विनय मिश्रा ने कहा कि यह पुस्तक व्यक्ति को बेहतर इंसान बनने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या महत्वपूर्ण नहीं है। उन्होंने इसे एक प्रकार की “थेरेपी” भी बताया। प्रो. मिश्रा ने अपने अंटार्कटिका मिशन के अनुभव साझा किए और सह-अस्तित्व की भावना के महत्व पर जोर दिया।
कार्यक्रम का संचालन ममता तिवारी ने किया। उन्होंने पुस्तक के विषय में कहा कि इस तरह की किताबें उन लोगों के लिए उपयोगी हैं जो अपने व्यक्तित्व में निरंतर सुधार करना चाहते हैं। क्लब लिटरेटी की प्रमुख डॉ. सीमा रायजादा ने संस्था के 12 वर्ष पूरे होने पर जानकारी दी और कार्यक्रम के वक्ताओं का परिचय कराया।