नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2024। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 14 अक्टूबर 2024 को जानकारी दी कि भारत ने मात्र 22 महीनों के भीतर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 80 प्रतिशत आबादी तक 5जी दूरसंचार सेवाओं का विस्तार कर दिया है। यह घोषणा नई दिल्ली में आयोजित 5वीं वैश्विक मानक संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के दौरान की गई। श्री सिंधिया ने बताया कि 5जी नेटवर्क के इस तीव्र रोलआउट से 2040 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की उम्मीद है।
इस अवसर पर मंत्री सिंधिया ने वैश्विक संगोष्ठी को तकनीकी प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताया, जहाँ नई तकनीकों और मानकों पर वैश्विक सहमति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि दुनिया वर्तमान में तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव से गुजर रही है, जिससे मानकों और विनियमों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। इस संगोष्ठी का उद्देश्य नई प्रौद्योगिकियों के वैश्विक रोलआउट का समर्थन करना और दूरसंचार में एक समान मानकीकरण स्थापित करना है।
सिंधिया ने भारत की तकनीकी प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, स्मार्ट सिटीज और ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भविष्य का नेतृत्व कर रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि पहली बार विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए) भारत में आयोजित हो रही है, जिसमें 100 से अधिक देशों के नेता शामिल हो रहे हैं।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) की महासचिव डोरेन बोगदान-मार्टिन ने भी भारत की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल आईटीयू-विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा 2024 का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का एक अग्रणी उदाहरण बताते हुए कहा कि कम लागत पर बड़े पैमाने पर हो रहे नवाचार ने भारत को डिजिटल परिवर्तन की तलाश कर रहे देशों के लिए एक मॉडल बना दिया है। बोगदान-मार्टिन ने 5जी सेवाओं के तेजी से विस्तार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारत के महत्वपूर्ण निवेश की भी प्रशंसा की।
5जी प्रौद्योगिकी का विस्तार न केवल डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, बल्कि इसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर निवेश और विकास की संभावनाएं भी पैदा होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि 5जी नेटवर्क के माध्यम से स्मार्ट सिटीज, एआई, और ब्लॉकचेन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के विकास को गति मिलेगी, जिससे आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक तकनीकी जगत में अपनी स्थिति और भी मजबूत करेगा।
भारत का यह कदम, न केवल देश की डिजिटल क्रांति को गति देगा, बल्कि उसे वैश्विक प्रौद्योगिकी परिदृश्य में एक अग्रणी भूमिका निभाने की दिशा में और अधिक सक्षम बनाएगा।