संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति का दमदार संदेश

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति का दमदार संदेश

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हम आक्रामकता के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और बढ़ते संघर्षों को समाप्त करेंगे

न्यूयॉर्क, 25 सितंबर 2024। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दुनिया को एक मजबूत और प्रेरणादायक संदेश दिया। अपने भाषण में बाइडेन ने स्पष्ट रूप से कहा, हम आक्रामकता के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और बढ़ते संघर्षों को समाप्त करेंगे।

रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तब हमने केवल विरोध जताकर खड़े रहने का विकल्प चुना होता, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। यह केवल एक देश पर हमला नहीं था, यह वैश्विक शांति और सुरक्षा पर सीधा प्रहार था। इसीलिए, हमने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मिलकर निर्णायक कदम उठाया।

बाइडेन ने NATO सहयोगियों और 50 से अधिक राष्ट्रों के साथ खड़े होने पर गर्व जताते हुए कहा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यूक्रेनी लोग भी मजबूती से डटे रहे। और आज अच्छी खबर यह है कि पुतिन का युद्ध विफल हो चुका है। यूक्रेन अभी भी स्वतंत्र है।

NATO की मजबूती पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, पुतिन ने NATO को कमजोर करने की कोशिश की, लेकिन इसके उलट, NATO अब फिनलैंड और स्वीडन के साथ पहले से भी बड़ा, मजबूत और अधिक एकजुट है।

उन्होंने दुनिया के सामने एक स्पष्ट विकल्प रखते हुए कहा कि अब सवाल यह है कि क्या हम इस युद्ध को जीतने और स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए यूक्रेन का समर्थन करेंगे, या आक्रामकता से मुंह मोड़ लेंगे और एक राष्ट्र का विनाश देखेंगे? मेरा जवाब स्पष्ट है—हम मुंह नहीं मोड़ सकते। हम तब तक यूक्रेन का समर्थन करेंगे, जब तक वह स्थायी शांति और जीत हासिल नहीं कर लेता।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • बाइडेन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस-यूक्रेन युद्ध पर आक्रामक रुख अपनाने की बात कही।
  • NATO की मजबूती का उल्लेख करते हुए उन्होंने फिनलैंड और स्वीडन के शामिल होने को बड़ी उपलब्धि बताया।
  • यूक्रेन को स्थायी शांति तक समर्थन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।

बाइडेन का यह भाषण वैश्विक समुदाय के लिए एक स्पष्ट संदेश है—आक्रामकता के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होना ही दुनिया की शांति और सुरक्षा की कुंजी है। संयुक्त राष्ट्र में दिए इस दमदार बयान ने यूक्रेन के समर्थन में अमेरिका और उसके सहयोगियों की मजबूती को फिर से उजागर किया है।