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डॉ. विशाखा त्रिपाठी की अंतिम यात्रा: ब्रज में उमड़ा श्रद्धा का सागर, बड़े भाई के बेटे ने दी मुखाग्नि

डॉ. विशाखा त्रिपाठी की अंतिम यात्रा: ब्रज में उमड़ा श्रद्धा का सागर, बड़े भाई के बेटे ने दी मुखाग्नि

वृंदावन, 28 नवंबर 2024। जगद्गुरु कृपालु परिषद की चेयरपर्सन डॉ. विशाखा त्रिपाठी की अंतिम यात्रा गुरुवार 28 नवंबर 2024 को वृंदावन में निकाली गई। प्रेम मंदिर के प्रेम भवन में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां देश-विदेश से आए हजारों अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। भजन-कीर्तन के बीच शव यात्रा रमणरेती क्षेत्र से शुरू होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई मोक्ष धाम पहुंची।

डॉ. विशाखा त्रिपाठी का पार्थिव शरीर प्रेम भवन में रखा गया था। दर्शन के लिए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरबी शर्मा, और पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय जैसे प्रमुख हस्तियां भी पहुंचीं। देशभर से आए हजारों भक्तों के साथ-साथ 12 देशों से आए अनुयायी भी इस पल के साक्षी बने।

अंतिम यात्रा के दौरान जगह-जगह 1100 किलो गुलाब, गेंदे, रायबेर के फूलों और मखानों की वर्षा की गई। पीले वस्त्र पहने अनुयायी प्रभु स्मरण करते हुए नम आंखों से यात्रा में शामिल हुए।

यात्रा नगर के प्रमुख बाजारों, जैसे बांकेबिहारी बाजार, लोई बाजार, वनखंडी तिराहा, और गोपीनाथ बाजार से होते हुए यमुना तट स्थित मोक्ष धाम पहुंची। वहां विधि-विधान से पूजन हुआ, और डॉ. विशाखा त्रिपाठी के बड़े भाई घनश्याम के बेटे रामानंद ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में चंदन, तुलसी, पीपल, गूलर, और गाय के 315 लीटर देशी घी का उपयोग किया गया।

श्रद्धालु तिराहों और चौराहों पर एकत्र होकर अंतिम यात्रा में पुष्प अर्पित करते नजर आए। इस दौरान प्रेम मंदिर में अखंड भजन-कीर्तन चलता रहा। भक्तों ने डॉ. विशाखा के आदर्शों और शिक्षाओं को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।

डॉ. विशाखा त्रिपाठी की अंतिम यात्रा में लाखों अनुयायियों की उपस्थिति ने यह सिद्ध किया कि उनका व्यक्तित्व न केवल ब्रजवासियों बल्कि देश-विदेश के लोगों के दिलों में बसता था। उनके योगदान को स्मरण करते हुए, यह दिन ब्रज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया।