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आधार कार्ड से लिंक होगी वोटर आईडी, चुनाव आयोग ने लिया फैसला

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नई दिल्ली, 18 मार्च 2025। आधार कार्ड से वोटर आईडी के लिंक किये जाने के फैसले को चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया है। 18 मार्च 2024 को दिल्ली में हुई चुनाव आयोग की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया।

आधार कार्ड से वोटर आईडी के लिंक करने का फैसला भारत में चुनाव प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह बैठक मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में हुई। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव भी उपस्थित रहे।

इस महत्वपूर्ण बैठक में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी, निर्वाचन सदन, नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ शामिल हुए। बैठक में तय किया गया कि इस प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुरूप ही लागू किया जाएगा।

मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने की पहल

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 (जो चुनाव कानून संशोधन अधिनियम, 2021 के तहत आती है) के अनुसार, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मतदाताओं की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार संख्या मांग सकते हैं। यह प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी, लेकिन इससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ेगी और डुप्लीकेट वोटर कार्ड की समस्या को समाप्त किया जा सकेगा।

हाल के दिनों में संसद और राजनीतिक गलियारों में डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) से जुड़े मुद्दों पर जमकर बहस हो रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस विषय पर सवाल उठाए थे। चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि डुप्लीकेट वोटर आईडी की समस्या को अगले तीन महीनों में हल कर लिया जाएगा। इसी कड़ी में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।

तकनीकी विशेषज्ञ तैयार करेंगे रणनीति

बैठक में यह तय किया गया कि चुनाव आयोग और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के तकनीकी विशेषज्ञ मिलकर इस कार्ययोजना को आगे बढ़ाएंगे। मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान रोकना, चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाना और एक मतदाता के पास केवल एक ही वैध वोटर आईडी सुनिश्चित करना है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस ऐतिहासिक कदम को कब और किस तरह से अमल में लाया जाता है। लेकिन इतना तय है कि यह फैसला भारतीय लोकतंत्र में एक बड़े बदलाव की नींव रखेगा और मतदाता सूची को सटीक, स्वच्छ और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

Ramesh Pandey

मेरा नाम रमेश पाण्डेय है। पत्रकारिता मेरा मिशन भी है और प्रोफेशन भी। सत्य और तथ्य पर आधारित सही खबरें आप तक पहुंचाना मेरा कर्तव्य है। आप हमारी खबरों को पढ़ें और सुझाव भी दें।

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