नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025। देशभर में वक्फ संशोधन अधिनियम मंगलवार, 8 अप्रैल से लागू हो गया। केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर इसकी पुष्टि की। संसद ने बजट सत्र में इसे पारित किया था, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को मंजूरी दी। लोकसभा में 3 अप्रैल को 288-232 और राज्यसभा में 4 अप्रैल को 128-95 मतों से विधेयक पास हुआ। नए कानून में वक्फ संपत्ति और बोर्ड संचालन में बड़े बदलाव किए गए हैं।
नए नियमों ये प्रावधान शामिल
- अब हर कोई अपनी संपत्ति को वक्फ नहीं कर सकेगा।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और कम से कम दो महिलाओं का नामांकन अनिवार्य होगा।
- केंद्रीय वक्फ परिषद में मंत्री, सांसद, पूर्व जज और नामी हस्तियां शामिल होंगी, जिनका इस्लाम से संबंध जरूरी नहीं।
- वक्फ संपत्तियों का केंद्रीय डेटाबेस में पंजीकरण छह महीने में करना होगा, वरना अतिक्रमण या विवाद में कोर्ट जाने का अधिकार खत्म हो जाएगा।
- जिला कलेक्टर की जांच शक्ति हटाकर राज्य सरकार को वरिष्ठ अधिकारी नामित करने का अधिकार दिया गया है।
फैसले को हाईकोर्ट में दी जा सकेगी चुनौती
वक्फ न्यायाधिकरण का फैसला अब अंतिम नहीं होगा और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। पहले इसके फैसले सिविल कोर्ट से ऊपर माने जाते थे। अब इसमें जिला जज और संयुक्त सचिव रैंक का अधिकारी शामिल होगा। कानून में सरकारी संपत्ति पर दावे की जांच और गैर-विवादित मामलों को दोबारा न खोलने का प्रावधान भी है।
सुप्रीम कोर्ट में 10 से अधिक याचिकाएं
इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 10 से अधिक याचिकाएं दायर हुई हैं, जिनमें जमीयत उलमा-ए-हिंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शामिल हैं। केंद्र ने कैविएट दाखिल की है। यह कानून पारदशिर्ता बढ़ाने और विवाद कम करने का दावा करता है, मगर इसे लेकर बहस जारी है।