अत्याधुनिक हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का हुआ उद्घाटन
नई दिल्ली, 27 सितंबर 2024। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए एक अत्याधुनिक हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया। इस परियोजना के तहत 850 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जो भारत के मौसम और जलवायु अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है।
एचपीसी प्रणाली के प्रमुख स्थल
इस हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग प्रणाली को दो प्रमुख स्थलों में स्थापित किया गया है:
- पुणे में स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)
- नोएडा में स्थित राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF)
इन दोनों केंद्रों पर स्थापित एचपीसी प्रणाली में अत्यधिक उन्नत कंप्यूटिंग क्षमता है, जो मौसम पूर्वानुमान और जलवायु अनुसंधान के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी।
‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ की भूमिका
इस नई प्रणाली को ‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ नाम दिया गया है, जो सूर्य के साथ उनके संबंध को दर्शाते हैं। ये अत्याधुनिक कंप्यूटर सिस्टम विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, भारी वर्षा, गरज, ओलावृष्टि, सूखा, भीषण गर्मी और अन्य मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं के बारे में अधिक सटीक और समय पर भविष्यवाणियां करने में सहायक होंगे।
‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ की असाधारण कंप्यूटिंग क्षमताओं की वजह से ये मौसम संबंधी अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण होंगे, खासकर अत्यधिक ऊंचे रिज़ॉल्यूशन वाले मॉडल के आधार पर सटीकता में सुधार के लिए।
भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमता में महत्वपूर्ण उपलब्धि
भारत की एचपीसी प्रणाली अब दुनिया के सबसे तेज़ और उन्नत कंप्यूटर सिस्टम में से एक है, जो जलवायु अनुसंधान और मौसम पूर्वानुमान को नई दिशा देगी। इस प्रणाली का लक्ष्य न केवल सटीक पूर्वानुमान देना है, बल्कि आपदा प्रबंधन में सुधार करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समय रहते कदम उठाना भी है।
भविष्य की संभावनाएं
इस परियोजना का उद्देश्य न केवल वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए सटीक डेटा प्रदान करना है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी सीधे तौर पर प्रभावित करना है। उन्नत पूर्वानुमानों की मदद से सरकार और एजेंसियां समय रहते तैयारी कर सकेंगी, जिससे जन-धन की हानि को कम किया जा सकेगा।
850 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई ‘अर्का’ और ‘अरुणिका’ नामक एचपीसी प्रणाली भारत की कम्प्यूटेशनल और मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं में एक नया आयाम जोड़ती है। इसके साथ ही यह परियोजना भारत को जलवायु अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाएगी।