वाराणसी, 27 फरवरी 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ग्रामीण महिलाओं की भूमिका अब केवल परिवार तक सीमित नहीं रह गई है। वे समाज में बदलाव की ध्वजवाहक बन रही हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत जिला ग्राम्य विकास संस्थान, परमानंदपुर में खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर चार दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गांव-गांव में जागरूकता फैलाकर महिला सशक्तिकरण और स्वस्थ समाज की नींव रखना था।
जीवन सुधारने की नई सीख
23 फरवरी से शुरू हुए इस प्रशिक्षण में वाराणसी के पिंडरा, आराजीलाइन और सेवापुरी विकास खंडों से आईं 34 आईसीआरपी (आंतरिक सामुदायिक संदर्भ व्यक्ति) दीदियों ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने चार महत्वपूर्ण सत्रों के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण दिया।
🔹 पहला सत्र: सुरक्षित गर्भावस्था और प्रसव की तैयारी
🔹 दूसरा सत्र: खतरों की पहचान और जीवन सुरक्षा
🔹 तीसरा सत्र: नवजात शिशु की देखभाल
🔹 चौथा सत्र: बच्चों में होने वाली बीमारियों से बचाव और उपचार
प्रशिक्षण से सशक्त हुईं दीदियां
प्रशिक्षण सिर्फ सैद्धांतिक नहीं था, बल्कि इसे व्यवहारिक तरीके से समझाया गया। प्रशिक्षक आशुतोष कुमार ने प्रतिभागियों को साफ-सफाई, नवजात शिशु की देखभाल और जल संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत जानकारी दी।
✅ हाथ धोने की सही तकनीक सिखाई गई
✅ नवजात शिशु को साफ कपड़ों में ढकने के तरीके समझाए गए
✅ टीपी टैप तकनीक के जरिए पानी की बचत के उपाय बताए गए
दीदियों ने बनाई अपनी कार्ययोजना
प्रशिक्षण के अंतिम दिन महिलाओं को खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में अपनी कार्ययोजना तैयार करने का अभ्यास कराया गया। यह प्रशिक्षण सिर्फ ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं था, बल्कि दीदियों को अपने गांवों में बदलाव लाने के लिए तैयार किया गया।
सम्मान और प्रेरणा का समापन सत्र
प्रशिक्षण के अंतिम दिन जिला प्रशिक्षण अधिकारी विमल कुमार सिंह ने सभी प्रतिभागी दीदियों को प्रमाण पत्र और ग्रुप फोटो देकर सम्मानित किया। इस दौरान प्रशिक्षक किरन देवी, संजय कुमार, सुरेश तिवारी, सुरेश पांडेय, अजीत कुमार, नीरज कुमार समेत अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
गांवों में बदलाव की नई रोशनी
यह प्रशिक्षण सिर्फ कुछ दिनों की प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि यह एक बड़ा कदम है ग्रामीण महिलाओं को जागरूक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में। अब ये प्रशिक्षित दीदियां अपने-अपने गांवों में जाकर अन्य महिलाओं को खाद्य, पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति शिक्षित करेंगी और एक स्वस्थ, खुशहाल और आत्मनिर्भर समाज के निर्माण में योगदान देंगी।