छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में दूर होगी लो-वोल्टेज की समस्या

03-May-2024

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही काम पूर्ण करने दिया निर्देश

रायपुर। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्र में उत्पन्न लो-वोल्टेज की समस्या जल्द दूर की जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जहां कहीं भी गंभीर समस्या दिखाई पड़ रही है वहां आपात स्थिति से बचकर कार्य किया जाए और ग्रामीण अंचल के लोगों को राहत दिलाई जाए।

किसी भी स्थिति में प्रदेश में किसी भी स्थान पर अप्रिय स्थिति नहीं बननी चाहिए और न ही कानून-व्यवस्था में व्यवधान होना चाहिए। आचार संहिता समाप्त होते ही योजनाबद्ध कार्यों को गति प्रदान की जाए ताकि ग्रामीण अंचलों में लो-वोल्टेज तथा बिजली की आँख-मिचौली जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके।


इन जिलों में है समस्या

छत्तीसगढ़ में कृषि पंपों की संख्या लगभग 6 लाख है। जिनकी सघनता मुख्यत: महासमुंद, धमतरी, बालोद, बेमेतरा, कवर्धा, राजनांदगांव, मुंगेली, कोरबा, सारंगढ़, रायगढ़, रायपुर, कांकेर, कोंडागांव, खैरागढ़ आदि जिलों में है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के कुल 6 लाख पंपों में से लगभग 70 प्रतिशत पंप इन्हीं जिलों में है जहां लो-वोल्टेज की समस्या उत्पन्न हो रही है। रबी मौसम अर्थात ग्रीष्मकालीन खेती के समय विद्युत प्रणाली पर लोड अचानक बढ़कर लगभग डेढ़ गुना हो जाता है। 


जानें क्यो उत्पन्न हुई दिक्कत

  • इस स्थिति से बचने के लिए कृषि पंपों में, संबंधित उपकेंद्रों में कैपेसिटर स्थापित करने से रिएक्टिव लोड को नियंत्रित किया जा सकता है। 
  • राज्य-स्तर पर फीडर सेपरेशन की योजना भी शुरू की गई है। विगत सरकार ने इन उपायों पर ध्यान नहीं दिया जिसके कारण मुख्य तकनीकी उपायों की प्राथमिकता ही समाप्त हो गई।
  • विगत 5 वर्षों में टेक्निकल अपग्रेडेशन का नगण्य कार्य किया गया। इस तरह विद्युत प्रदाय की बुनियादी अधोसंरचना विस्तार का कार्य भी प्रभावित हुआ।


जांच में यह बात सामने आयी

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकायतें सामने आने पर उच्चाधिकारियों द्वारा छानबीन की गई कि आखिर किन कारणों से अचानक ऐसी विपरीत खबरें आ रही हैं। जांच में पता चला कि विगत सरकार द्वारा कृषि पंप फीडर सेपरेशन, कैपेसिटर की स्थापना, कमजोर विद्युत लाइनों में सुधार जैसे कार्यों को प्राथमिकता नहीं देने के कारण यह समस्या निर्मित हुई है। अब नई प्राथमिकता सूची बनाई जा रही है जिसके आधार पर आचार संहिता समाप्त होने के पश्चात नये सिरे से लंबित कार्यों को गति प्रदान की जाएगी। 


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