वैक्सीन पर सतर्कता से विचार की जरुरत

04-May-2024

जब कोरोना वैक्सीन को लेकर शिकायतों और चर्चा का माहौल गरम है, तो अन्य सभी वैक्सीनों पर पूरी सतर्कता के साथ विचार करने की जरूरत है। एस्ट्राजेनेका कंपनी ने जब से यह माना है कि उसके द्वारा निर्मित वैक्सीन कोविशील्ड की वजह से विरल मामलों में कुछ लोगों को नुकसान की आशंका है, तब से पूरा टीकाकरण अभियान ही सवालों के घेरे में है। लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं और अपने-अपने नुकसान का आकलन भी कर रहे हैं।

ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका को अनेक मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है और सजा के तौर पर उसे बड़े पैमाने पर मुआवजा चुकाने की भी जरूरत पड़ सकती है। खैर, मुकदमे और मुआवजे अपनी जगह हैं, पर लोगों में मन में जो शंकाएं घर कर गई हैं, उन पर सावधानी से सोचने की जरूरत है।

लगभग सभी चिकित्सकों का यही मानना है कि टीका लेने के बाद चालीस दिन में साइड इफेक्ट सामने आ जाते हैं, पर जब टीका लगे दो साल से ज्यादा समय बीत चुका है, तब साइड इफेक्ट की चर्चा का बहुत महत्व नहीं है।

वैसे, साइड इफेक्ट को साबित करने का काम आसान नहीं है। हमने यह देखा है कि महामारी ने उन लोगों को ज्यादा परेशान किया था, जिन्हें पहले से कोई बीमारी थी। ऐसे लोगों को टीका लेते समय भी सावधान रहने के लिए कहा गया था, उम्र या वर्ग के हिसाब से धीरे-धीरे लोगों को टीके दिए गए थे। टीका देते समय और उसके ठीक बाद तात्कालिक रूप से लोगों की निगरानी भी की गई थी।

भारत में साइड इफेक्ट की शिकायत अगर सामने आई है, तो उसका पूरी तरह से वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए। फिलहाल यह मुद्दा चुनाव में भी गरम है, पर यह आगामी केंद्र सरकार के लिए एक गंभीर विषय होना चाहिए। चिकित्सकों की संस्था को गोपनीयता बरतते हुए वैक्सीन के दुष्प्रभावों का अध्ययन करना चाहिए।

भारत में किसी बड़ी दवा कंपनी के खिलाफ खुले रूप में जांच करना असहज स्थिति पैदा कर सकता है। दरअसल, यह शिकायत आम लोगों का विषय नहीं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का विषय है। आम लोगों की शंकाओं को भी तभी दूर किया जा सकता है, जब शिकायतों का विशेषज्ञता के साथ अध्ययन किया जाए।

यह अच्छी बात है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड कोविड-19 वैक्सीन के संभावित दुर्लभ दुष्प्रभावों की रिपोर्ट के बीच ‘कोवैक्सिन’ विकसित करने वाले संस्थान भारत बायोटेक ने बयान में कहा है कि कोवैक्सिन का पूरी तरह से परीक्षण किया गया था। कोविशील्ड और कोवैक्सिन का ही भारत में सर्वाधिक उपयोग हुआ था।

मतलब, फिलहाल कोविशील्ड लेने वाले चिंता में हैं, जबकि कोवैक्सिन लेने वाले थोड़े आश्वस्त हैं। वास्तव में, एस्ट्राजेनेका को विशेष तौर पर लोगों की शंकाओं को दूर करना चाहिए। उसकी वजह से कई देशों में करोड़ों लोग शंकाग्रस्त हैं। भारत सरकार को भी ब्रिटेन में चल रहे मुकदमों पर नजर रखनी चाहिए।

अगर एस्ट्राजेनेका की गलती सामने आती है, तो भारत को भी अपने हिसाब से इस कंपनी से निपटना होगा। यह एक ऐसा मामला है, जो हमें अपने स्वाथ्य के प्रति सजग बनाता है। किसी भी दवा को लेने की स्थिति में दुष्प्रभावों को लेकर हमें सजग होना चाहिए। ऐसा होना चाहिए, ताकि चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता को पूरी तरह से सुनिश्चित किया जा सके।


Related News
thumb

भारत एवं विश्व में 15 मई का इतिहास

भारतीय एवं विश्व इतिहास में 15 मई की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ इस प्रकार है। History of 15 May in India and the world



thumb

कर्म ही जीवन की भविष्य निधि

जिस प्रकार सृष्टि का प्रवाह अनादि है, वैसे ही कर्मों का प्रवाह भी अनादि है। अनादि काल से जीव का कर्म के साथ सम्बन्ध चला आ रहा है, इन दोनों का अस्ति...


thumb

थमती खेती, बढ़ता पलायन, खतरे में खाद्य सुरक्षा

साल 2008 के बाद से वैश्विक भूमि की कीमतें दोगुनी हो गई हैं, जबकि मध्य यूरोप में कीमतों में तीन गुना वृद्धि देखी जा रही है। ज़मीन की कीमतों में यह उ...


thumb

रस्किन बॉन्ड को दिया गया साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च सम्मान

साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च सम्मान महत्तर सदस्यता शनिवार 11 मई 2024 को अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक और विद्वान रस्किन बॉन्ड को प्रदान की गयी । Sahitya...


thumb

आम की सबसे बौनी किस्म अंबिका और अरूणिका

अंबिका और अरूणिका वैज्ञानिकों के तकरीबन 30 साल की मेहनत के बाद आम की बोनी वैरायटी के रूप में विकसित की गई है। दरअसल आम के इन छोटी वैरायटी के कई फाय...