नई दिल्ली। जिस तेजी से जलवायु परिवर्तन और स्थिरता जैसे विषयों की प्रासंगिकता और आम जनता के बीच उनमें रुचि बढ़ रही है, उससे पत्रकारों की जिम्मेदारियां भी बढ़ती जा रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मीडिया कर्मियों पर इन मुद्दों पर जानकारी को सटीक और जिम्मेदारी से प्रसारित करने की विशेष जिम्मेदारी है। और इसीलिए पत्रकारों के लिए स्थिरता और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को बेहतर ढंग से समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
इस परिप्रेक्ष्य से परे देखें तो मीडिया विद्यार्थियों यानी भावी मीडियाकर्मियों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि वे इन मुद्दों को समझेंगे और जागरूक होंगे तो भविष्य में आम लोगों के बीच सूचनाओं का बेहतर और सटीक प्रसार संभव हो सकेगा।
इसे समझते हुए, दिल्ली स्थित संगठन सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) ने कम कार्बन और सतत विकास पर मीडिया छात्रों की संचार क्षमता बढ़ाने के लिए देश के चार प्रमुख राज्यों में एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। कार्यक्रम का लक्ष्य पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम के तहत स्नातकोत्तर मीडिया छात्रों के लिए यूपी, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
कार्यक्रम का तीसरा प्रशिक्षण कार्यक्रम मीडिया विद्यार्थियों के लिए सतत विकास कार्यशाला, संस्कृति एवं मीडिया विभाग, राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से 16 एवं 17 अक्टूबर 2023 को आयोजित किया गया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने सुझाव दिया कि पर्यावरण पत्रकारिता जैसे विषयों में छात्रों को तकनीकी बारीकियां समझाने की जरूरत है। इसलिए उन्होंने कहा कि मीडिया छात्रों की क्षमता बढ़ाने के लिए सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज जैसे संस्थानों को पत्रकारिता की भाषा के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रतिभागी छात्रों को संबोधित करते हुए सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) की महानिदेशक डॉ. वसंती राव ने कहा, कल जब आप फील्ड में काम करेंगे तो आपकी आज की मेहनत वहां काम आएगी। अगर आप आज इस विषय पर अपनी समझ विकसित कर लेंगे तो कल आपकी खबर न सिर्फ धारदार होगी, बल्कि उसका व्यापक असर भी होगा।
सुश्री अन्नू आनंद, निदेशक, कार्यक्रम और वकालत, सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़, ने टिप्पणी की- ऐसे युग में जब जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बड़े पैमाने पर हैं और सतत विकास एक तत्काल आवश्यकता बन गया है, मीडिया पेशेवरों की भूमिका पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। पहले यह बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। जलवायु परिवर्तन और संबंधित मुद्दों पर सटीक और जिम्मेदार जानकारी प्रसारित करने में भविष्य के मीडिया पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
ग्रीनटेक नॉलेज सॉल्यूशंस की निदेशक और कार्यशाला में प्रशिक्षक वर्निका प्रकाश ने कहा कि उद्योग हमारी जीवनशैली की कार्बन तीव्रता के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है। इसके अतिरिक्त पत्रकार एवं जलवायु विज्ञान संचार विशेषज्ञ निशांत सक्सेना ने छात्रों को जलवायु परिवर्तन एवं सतत विकास जैसे जटिल प्रतीत होने वाले विषयों पर सरल भाषा में सटीक एवं प्रभावी लेखन के तरीकों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की।
उद्घाटन सत्र में अकादमिक डीन प्रो. डी.सी. शर्मा और सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो. जगदीश जाधव उपस्थित थे और मीडिया विभाग के प्रमुख अमिताभ श्रीवास्तव ने स्थापना के बाद से सतत विकास के लिए विश्वविद्यालय के निरंतर प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने सतत विकास पर आम जनता को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला का पहला दिन निम्न-कार्बन विकास, शहरी नियोजन और निम्न-कार्बन और सतत विकास सिद्धांतों और नीतियों की आवश्यकता और उनके बेहतर और अधिक सटीक संचार जैसे मुद्दों पर केंद्रित था। कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने बेयरफुट कॉलेज, तिलोनिया का दौरा किया और पर्यावरण संरक्षण में लोक ज्ञान की भूमिका को समझा।
सीएमएस पिछले सात वर्षों से जलवायु परिवर्तन और संबंधित मुद्दों पर मुख्यधारा के मीडिया और मीडिया छात्रों के लिए आकर्षक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस वर्ष का क्षमता निर्माण कार्यक्रम ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग, नई दिल्ली द्वारा समर्थित है।
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