महाकुंभनगर, 13 जनवरी 2025। दुनिया के सबसे बड़े सनातन समागम महाकुंभ का भव्य शुभारंभ सोमवार को पहले स्नान पर्व, पौष पूर्णिमा के साथ हुआ। इस अवसर पर 1.6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पतित पाविनी गंगा, श्यामल वर्ण यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर पवित्र अमृत स्नान किया।
महाकुंभ की इस विशिष्ट परंपरा, कल्पवास की शुरुआत भी इसी दिन हुई। पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार संगम तट पर माघ माह में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। लाखों श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से संगम तट पर केला, तुलसी और जौं रोपकर एक महा व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर संगम स्नान करने वाले सभी संतगणों, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने लिखा, मानवता के मंगलपर्व महाकुंभ 2025 में पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर संगम स्नान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले सभी संतगणों, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं को हार्दिक अभिनंदन।
पहले स्नान पर्व पर एक करोड़ 50 लाख सनातन आस्थावान श्रद्धालुओं ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। इस दौरान महाकुंभ मेला प्रशासन, प्रयागराज प्रशासन, पुलिस, नगर निगम, स्वच्छाग्रहियों, गंगा सेवा दूतों, कुम्भ सहायकों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों और मीडिया जगत के बंधुओं सहित केंद्र और प्रदेश सरकार के सभी विभागों का योगदान सराहनीय रहा।
विदेशी श्रद्धालु ने देखा विहंगम नजारा
महाकुंभ में उमड़ते जनसैलाब के विहंगम दृश्य को अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, इक्वाडोर समेत तमाम देशों से आए विदेशी श्रद्धालु भी देख रहे थे। मेला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, शाम चार बजे तक एक करोड़ 60 लाख लोग संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके थे। स्नान करने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहने का अनुमान है।
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व के अवसर पर पुलिस के जवान चप्पे-चप्पे पर सतर्क निगाहों के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करते नजर आए। श्रद्धालुओं के प्रति उनका विनम्र व्यवहार आकर्षण का केंद्र बना। चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य की दिशा में मार्गदर्शन करते हुए पूरी विनम्रता से सेवा कर रहे थे, जिससे श्रद्धालु भी प्रसन्न दिखाई दिए।
संगम तट पर महाकुंभ के पहले स्नान के दौरान हर-हर गंगे के जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। साधु संतों की उपस्थिति से वातावरण भक्ति रस से ओतप्रोत था। महाकुंभ का यह आस्थावान समागम देश की एकता और अखंडता का प्रतीक बनकर दुनिया भर में अपनी आभा फैला रहा था।
महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है, जिसका आयोजन हर 12 सालों में एक बार किया जाता है। इस बार संगम तट पर श्रद्धालुओं का अद्भुत नजारा देखने को मिला, और आधी रात से ही श्रद्धालु और कल्पवासी संगम तट पर जुटने लगे थे। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा।
महाकुंभ के इस अद्भुत आयोजन में विदेशी श्रद्धालुओं की भी बड़ी संख्या थी। अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली और इक्वाडोर से आए श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई और भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की गहरी सराहना की।
10 लाख से अधिक लोग कर रहे कल्पवास
पौराणिक मान्यता के अनुसार, पौष पूणिर्मा के दिन संगम में स्नान करने से न केवल शारीरिक शुद्धि मिलती है, बल्कि पुण्य भी अर्जित होता है। कल्पवास का शाब्दिक अर्थ है एक निश्चित समयावधि तक संगम तट पर निवास करना, जो जीवन की आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस वर्ष अनुमान है कि 10 लाख से अधिक लोग संगम तट पर पूरे एक माह का कल्पवास करेंगे।
महाकुंभ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है, और इस वर्ष श्रद्धालुओं ने पूजन और संकल्प के साथ जौं और केले का रोपण कर कल्पवास की शुरुआत की। इस दौरान सनातन धर्म के अनुयायी गंगा स्नान, जप, तप, ध्यान और सत्संग का आयोजन करेंगे।
अमेरिका से आए बाबा मोक्षपुरी और जर्मनी से आई क्रिस्टीना समेत विदेशी श्रद्धालुओं ने संगम पर आकर भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता से गहरी जुड़ाव महसूस किया। “महाकुंभ 2025” ने सचमुच दुनिया भर में सनातन धर्म की महिमा का प्रचार किया और विदेशी श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।