2024 जलवायु के मामले में सबसे गर्म वर्ष होने की उम्मीद

20-April-2024

मौसम विज्ञानियों ने 55% संभावना व्यक्त की है कि 2024 जलवायु रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा। इतना ही नहीं, उन्होंने 99 फीसदी संभावना जताई है कि यह साल पांच सबसे गर्म सालों में शामिल होगा।  यह दावा नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) की ताजा रिपोर्ट में किया गया है।


रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च का औसत तापमान 20वीं सदी के औसत मार्च तापमान से 1.35 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। यह लगातार 48वां मार्च है जब तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से ऊपर रहा। ऐसा नहीं है कि तापमान में बढ़ोतरी का असर सिर्फ धरती तक ही सीमित रहा, इसका असर महासागरों में भी दर्ज किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 के दौरान ज्यादातर इलाकों में समुद्र की सतह का तापमान औसत से ऊपर था। समुद्र का औसत तापमान सामान्य से 1.01 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया। 2016 की शुरुआत में समुद्र की सतह का उच्चतम तापमान 0.83 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।


धरती के हर कोने में असर.


रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2024 में अफ्रीका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश हिस्सों के साथ-साथ पूर्वी उत्तरी अमेरिका, पूर्वी एशिया और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में तापमान औसत से ऊपर रहा। एशिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया औसत से बहुत अधिक ठंडे थे। जहां अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका को अपने इतिहास के सबसे गर्म मार्च का सामना करना पड़ा, वहीं यूरोप के लिए यह दूसरा सबसे गर्म मार्च था।


कार्बन डाइऑक्साइड तापमान बढ़ा रही


एनओएए के अनुसार, कार्बन डाइऑक्साइड, अन्य ग्रीनहाउस गैसों की तरह, सतह से स्थानांतरित गर्मी को रोकती है और इसे अंतरिक्ष में भागने से रोकती है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और चरम मौसम की घटनाएं और अधिक गंभीर होती जा रही हैं। इस लिहाज से एनओएए डेटा से पता चला है कि वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 424 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) तक पहुंच गया है।


ऐसा पिछले लाखों सालों में नहीं देखा गया था। यह पृथ्वी की सतह के तापमान के मामले में इसे चौथा सबसे गर्म मार्च बनाता है। जब तापमान सामान्य से 2.09 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। इतना ही नहीं, जून 2023 के बाद से यह लगातार 10वां महीना है, जब वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी ने नया रिकॉर्ड बनाया है।  इसका मतलब है कि जून 2023 के बाद से एक भी महीना ऐसा नहीं रहा, जिसमें तापमान वृद्धि ने कोई नया रिकॉर्ड न बनाया हो। 

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