स्वदेशी सीएआर-टी सेल थेरेपी लांच, कम लागत में हो सकेगा कैंसर का इलाज

04-April-2024

मुंबई। बॉम्बे में पवई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुरुवार 4 अप्रैल 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैंसर के इलाज के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर टी-सेल थेरेपी की शुरूआत की। आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा विकसित यह जीन-आधारित थेरेपी विभिन्न प्रकार के कैंसर को ठीक करने में मदद करेगी।


द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में साल 2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई थीं। भारत, एशिया में इस बीमारी के बोझ वाल दूसरा सबसे बड़ा देश है। स्वास्थ्य  विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि सीएआर टी-सेल थेरेपी से कैंसर के उपचार में मदद मिल सकती है।


दाम 90 प्रतिशत कम 


थेरेपी के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रपति ने कहा, हमारे पास अपने-अपने क्षेत्रों में भारत के दो अग्रणी अनुसंधान संस्थान हैं, जो मानवीय उद्देश्य के लिए उद्योग के साथ हाथ मिलाकर काम रहे हैं। इस स्वदेशी थेरेपी के बारे में नई बात यह है कि इसकी लागत अन्य जगहों पर उपलब्ध थेरेपी की तुलना में 90 प्रतिशत कम है। यह दुनिया की सबसे सस्ती सीएआर-टी सेल थेरेपी है। इसके अलावा, यह "मेक इन इंडिया" पहल का भी एक उदाहरण है जो आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमें उम्मीद है कि इस थेरेपी की मदद से आने वाले समय में कैंसर से मुकाबले के लिए देश को मजबूती मिलेगी।


थेरेपी के बारे में जानिए

  • सीएआर-टी सेल थेरेपी या काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरेपी इम्यूनोथेरेपी और जीन थेरेपी का एक रूप है। 
  • रोगी की प्रतिरक्षा कोशिकाओं, विशेष रूप से टी कोशिकाओं को संशोधित करने और उन्हें कैंसर से लड़ने के लिए तैयार करने के लिए जटिल आनुवंशिक इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है। 
  • सीएआर-टी सेल थेरेपी को चिकित्सा विज्ञान में सबसे अभूतपूर्व प्रगति में से एक माना जाता है। 
  • भारत ने इस दिशा में प्रगति करते हुए स्वदेशी थेरेपी को विकसित किया है।


अस्पतालों में होगी उपलब्ध 

राष्ट्रपति ने कहा, मुझे बताया गया है कि यह थेरेपी देश भर के प्रमुख कैंसर अस्पतालों में उपलब्ध होगी, जिससे रोगियों और उनके परिवारों को नई आशा मिलेगी। इसके अलावा, यह किफायती उपचार दुनियाभर के सभी रोगियों के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। यह हमारे वसुधैव कुटुंबकम के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा। कैंसर से मुकाबले के लिए हमें एकजुटता और दृढ़ संकल्प की जरूरत है, हमें उम्मीद है कि इस तरह के नवाचार से हमारे लक्ष्य में मदद मिल सकेगी।  

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