गौ-अर्क और गोबर दीप वितरण के लिये मनोहर गौशाला को मिला विश्व स्तरीय सम्मान

06-March-2023

खैरागढ़, 6 मार्च 2023 । छत्तीसगढ़ में संगीत और कला की नगरी खैरागढ़ के धरमपुरा स्थित मनोहर गौशाला (Manohar Gaushala) के नाम दो और विश्व स्तरीय उपलब्धियां जुड़ गई है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में मनोहर गौशाला को दो श्रेणियों में नामांकित कर सम्मानित किया गया है। 


यह रिकार्ड पहले से है 

  • गौशाला में विराजित कामधेनु माता की लंबी पूंछ के लिये पहले ही दर्ज है रिकार्ड
  • फसल अमृत को लेकर वैज्ञानिक शोध में भी गौशाला के नाम दर्ज हैं कई उपलब्धियां

विश्व स्तर पर सर्वाधिक गौ मूत्र अर्क वितरण करने के लिये तथा गौशाला के गोबर से निर्मित दीयों (दीपक) के सर्वाधिक नि:शुल्क वितरण के लिये गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में मनोहर गौशाला के नाम ये नई उपलब्धियां जुड़ी है।

मनोहर गौशाला के मैनेजिंग ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) ने बताया कि अब तक गौशाला से 12 हजार बोतल गौ मूत्र अर्क व गौशाला के गोबर से बने 3 लाख 50 हजार से अधिक दीये (दीपक) नि:शुल्क वितरित किये जा चुके हैं। 

चेन्नई से पहुंचे सौ यात्रियों के बीच लिया सम्मान

गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड द्वारा मिले दोनों सम्मान को मनोहर गौशाला के मैनेजिंग ट्रस्टी अखिल जैन (पदम डाकलिया) रायपुर, ट्रस्टी पुखराज कोठारी चेन्नई, महेन्द्र लोढ़ा व प्रवीण पारख रायपुर, तेजराज गोलछा बैंगलुरू, मनीष बोथरा दुर्ग, समाजसेवी राजेन्द्र डाकलिया, नरेन्द्र बोथरा, चमन डाकलिया, भजन गायक नमन-जैनम डाकलिया सहित सैकड़ों गौ सेवकों के बीच गौशाला में उक्त सम्मान को गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड की प्रतिनिधि श्रीमती सोनल राजेश शर्मा के द्वारा प्राप्त किया गया।

इससे पहले गौशाला के ट्रस्टी पदम डाकलिया ने उक्त दोनों सम्मान को छग की पूर्व राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके को राजभवन मेंं समर्पित किया। बता दे कि सुश्री उइके मनोहर गौशाला के कार्यों से जुड़ी रही हैं और लगातार माता कामधेनु के दर्शन व गौशाला के विविध कार्यों के उत्साहवर्धन के लिये उनका सहयोग मिलता रहा है। 

फसल अमृत पर हो चुका है सफल रिसर्च

मनोहर गौशाला संभवत: पहली ऐसी संस्था है जिसे न केवल तीन श्रेणियों में गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में नामांकन तथा सम्मान प्राप्त हुआ है। गौशाला में निर्मित फसल अमृत पर भी यहां सफल शोध हो चुका है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय व रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों द्वारा मनोहर गौशाला में निर्मित फसल अमृत को पर्यावरण संरक्षण व मानव स्वास्थ्य के लिये बहुउपयोगी बताया गया है और इस पर आगे भी शोध कार्य जारी है।

यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ. विवेक त्रिपाठी सहित डॉ.एलके श्रीवास्तव व अन्य चार वैज्ञानिकों ने इस कार्य के लिये शोध अवधि को बढ़ाया है। डॉ. विवेक त्रिपाठी ने कहा है कि फसल अमृत देश के कृषकों के लिये एक अनुपम उपहार साबित होगा।

उपरोक्त कार्यक्रम मे राजस्थान जोधपुर के कृषि वैज्ञानिक डाक्टर प्रदीप जी पगारिया भी पधारे थे एवम फसल अमृत के बनने के प्रोसीजर का अवलोकन भी किया थे। 

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