आने वाले दिनों में किसानों की आय में वृद्धि करेगा बाजरे की खेती

25-November-2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष (आईवाईओएम) घोषित किया है। इसके माध्यम से बाजरे की घरेलू व वैश्विक खपत बढ़ाना उद्देश्य है। यह वर्ष वैश्विक उत्पादन बढ़ाने, कुशल प्रसंस्करण तथा फसल रोटेशन के बेहतर उपयोग एवं फूड बास्केट के प्रमुख घटक के रूप में मिलेट को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अन्य केंद्रीय मंत्रालयों, सभी राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारक संस्थानों के साथ मिलकर बाजरे का उत्पादन तथा खपत बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है।


नई दिल्ली। भारत सरकार ने अप्रैल-2018 में बाजरे को पौष्टिक अनाज के रूप में अधिसूचित किया था और बाजरे को पोषण अभियान के अंतर्गत भी शामिल किया गया है। 24 नवम्बर 2022 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तथा विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर की अध्यक्षता में दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में उच्चायुक्तों और राजदूतों के बीच, अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष का प्री-लांचिंग उत्सव का आयोजन किया गया।


श्री तोमर ने कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय अन्य केंद्रीय मंत्रालयों, सभी राज्य सरकारों तथा अन्य हितधारक संगठनों के सहयोग से बाजरे का उत्पादन और खपत बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, अब समय आ चुका है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली अपना घ्यान बुनियादी कैलोरी से हटाकर वितरण कार्यक्रमों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक विविध खाद्य बास्केट प्रदान करे, जिसमें प्री-स्कूल के बच्चों और गर्भधारण की आयु वाली महिलाओं की पोषण स्थिति में सुधार के लिए बाजरा शामिल हो। बाजरा एक जलवायु अनुकूल फसल है जिसका उत्पादन पानी की कम खपत, कम कार्बन उत्सर्जन और सूखे में भी किया जा सकता है।


बाजरा सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों का भंडार

बाजरा सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों का भंडार है। अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष, खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए बाजरे के योगदान में जागरूकता फैलाएगा, बाजरे का उत्पादन निरंतर करने और इसकी गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए हितधारकों को प्रेरित करेगा और अनुसंधान तथा विकास कार्यों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ध्यान आकर्षित करेगा।


एशिया और अफ्रीका बाजरे के प्रमुख उत्पादन और उपभोग करने वाले क्षेत्र हैं। भारत, नाइजर, सूडान और नाइजीरिया बाजरा के प्रमुख उत्पादक देश हैं। ज्वार और प्रोसो बाजरा (सामान्य बाजरा) क्रमशः 112 और 35 देशों में सबसे ज्यादा उगाए जाने वाले बाजरा हैं। ज्वार और पर्ल बाजरा 90 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्र और उत्पादन को कवर करते है। शेष उत्पादन में रागी (फिंगर मिलेट्स), चीना (प्रोसो मिलेट्स), फॉक्सटेल मिलेट्स (कांगनी) और अन्य गैर-पृथक बाजरा शामिल हैं।


भारत बाजरा का प्रमुख उत्पादक देश है जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी और छोटे बाजरा के साथ-साथ कंगनी, कुटकी या छोटा बाजरा, कोडोन, गंगोरा या बार्नयार्ड, चीना और ब्राउन टॉप शामिल हैं। भारत के अधिकांश राज्य एक या एक से ज्यादा बाजरा की प्रजातियों की खेती करते हैं। पिछले 5 वर्षों की अवधि में, हमारे देश में 13.71 से 18 मिलियन टन से बाजरा का उत्पादन हुआ जिसमें 2020-21 उच्चतम उत्पादन का वर्ष रहा है।


भारत में बाजरे का उत्पादन

वर्ष 2021-22 के लिए चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत में बाजरे का उत्पादन लगभग 16 मिलियन टन हुआ है, जो राष्ट्रीय खाद्यान्न बास्केट का लगभग 5 प्रतिशत है। इसकी बाजार में हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 9.62 मिलियन टन है, इसके बाद 4.23 मिलियन टन के साथ ज्वार का उत्पादन दूसरे स्थान पर है। रागी एक अन्य महत्वपूर्ण बाजरा है, जो देश के उत्पादन में 1.70 मिलियन टन का योगदान करता है और अन्य बाजरे का उत्पादन 0.37 मिलियन टन है। शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के लिए बाजरा एक वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है। बाजरा संतुलित आहार के साथ-साथ एक सुरक्षित वातावरण के निर्माण में योगदान देता है। ये मानव जाति के लिए एक प्रकृतिक उपहार है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने बाजरा को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की शुरुआत की है।

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