रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर शहर के आधा दर्जन थानों में दर्ज मामलों के आदतन अपराधी अकबर खान की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए अकबर खान को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। आरोपी के स्वास्थ्य को लेकर उसे सेंट्रल जेल में सुविधाएं मुहैया करायी जा रही है। यदि किसी आदतन अपराधी को जमानत का लाभ दिया जाता है तो समाज में अशांति फैलने का खतरा हो सकता है।
शहर के व्यवसायी रजब अली को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपराध दर्ज होने के बाद से आरोपी अकबर खान फरार हो गया था। हाल ही में सरकंडा पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी अकबर ईद मनाने के लिए घर आया है। इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने छापेमारी की। पुलिस से बचने के लिए आरोपी ने बुर्का पहन लिया था। इसके बाद भी पुलिस ने उसकी पहचान कर ली।
गिरफ्तारी के बाद अकबर ने जमानत याचिका दायर की। इसे लेकर कोर्ट ने कहा है कि आरोपी आदतन अपराधी है। इसके अलावा आरोपी द्वारा किया गया अपराध अत्यंत गंभीर प्रकृति का है। थाने से मिली रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी को जमानत मिलने पर शिकायतकर्ता और गवाहों को डराने-धमकाने की आशंका है। अकबर की ओर से दाखिल अर्जी और हलफनामे में कहा गया है कि यह उनकी पहली जमानत अर्जी है। इसके अलावा इस संबंध में कोई अन्य जमानत अर्जी सेशन कोर्ट या हाईकोर्ट में लंबित नहीं है। हलफनामा वादी के भतीजे उस्मान गनी खान द्वारा दायर किया गया है।
जमानत अर्जी में अकबर खान ने कहा कि उसके खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है और उसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उनकी बिगड़ती सेहत के चलते उन्हें मुंबई के रिलायंस हॉस्पिटल में भी शिफ्ट किया गया था। वह हृदय रोग से पीड़ित है। उन्हें भी इलाज के लिए महाराष्ट्र ले जाया गया था। वह बुजुर्ग व्यक्ति हैं और उनकी तबीयत बहुत खराब है। सेंट्रल जेल में उसका इलाज संभव नहीं है। मामले में कहीं भी ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है कि मृतक को उसके द्वारा आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया हो।
प्रथम सूचना रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला राजस्व न्यायालय का है। इसका रिपोर्ट में उल्लिखित जमीन से कोई संबंध नहीं है। मृतक राजस्व न्यायालय के फैसले से परेशान था। उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत किसी अपराध का आरोप नहीं है। सुसाइड नोट में उसका नाम या उसे शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने का भी जिक्र नहीं है। उनसे खुन्नस रखने वाले लोगों ने बिना किसी कारण के वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर दो साल बाद प्राथमिकी दर्ज करायी है। इसी आधार पर जमानत का अनुरोध किया गया है। अकबर ने मेडिकल दस्तावेजों की फोटोकॉपी भी जमा की।
राज्य सरकार की ओर से पेश सरकारी वकील ने अपराध की गंभीरता के आधार पर आपत्ति दर्ज की और जमानत अर्जी खारिज करने की मांग की। केस डायरी को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि आरोपी ने अपने सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर मृतक को अपनी जमीन और अपना घर छोड़ने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था। प्रताड़ना से तंग आकर मृतक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद मृतक का एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। इस आधार पर आरोपी अकबर खान और तैय्यब हुसैन के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। आरोपी तैय्यब हुसैन अभी भी फरार है।
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