12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी है छत्तीसगढ़ के अमलेश्वर श्री महाकाल धाम की पौराणिकता

26-April-2024

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निकट स्थित पवित्र खारून नदी के तट पर स्थित अमलेश्वर की पौराणिकता भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों से जुड़ी है। अमलेश्वर स्थित श्री महाकाल धाम में स्थापित अमलेश्वर लिंग मनुष्य निर्मित नहीं है। स्वयं प्रकृति ने इसका निर्माण किया है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है उस स्थान पर खारून नदी बहती है।


यहां खारुन नदी के बहाने का आकार अ के रूप में है। शायद यह भी एक वजह है जिसके कारण यह क्षेत्र अमलेश्वर के नाम से जाना जाता है।  बताते हैं कि 100 साल पहले यहां ऐसा घना जंगल था कि लोग जाने से डरते थे। इस इलाके में चूने की भट्ठियों पर काम करने वाले श्रमिक ज्यादातर जंगल में रहा करते थे। जंगल में रहने वाले श्रमिकों ने ही यहां अमलेश्वर लिंग की पूजा शुरू की थी। कालांतर में चूने की भट्ठियां बंद हो गई और वहां काम करने वाले लोग भी चले गए। उसके बाद से इस इलाके में स्थित यह शिवलिंग मिट्टी में दब गया था जिसे अब स्थापित किया गया है इसका नाम श्री महाकाल धाम रखा गया है।


प्रख्यात ज्योतिष विद प्रिया शरण त्रिपाठी बताते हैं कि वर्ष 2004 में अशोक अग्रवाल जो कि छत्तीसगढ़ के दानवीर दाऊ कल्याण सिंह के अग्रज हुए उन्हें स्वप्न में यह आदेश मिला कि अमलेश्वर के एक खेत में खारुन नदी के किनारे शिवलिंग मिट्टी में दबा हुआ है। इसे निकालकर इसकी पूजा की जाए।


दाऊ अशोक अग्रवाल के मार्गदर्शन में इस शिवलिंग की खोज की गई तो खारून नदी के तट पर स्थित एक खेत में शिवलिंग का प्राकट्य हुआ। इसके बाद श्रवण बड़ी प्रतिपदा दिन शनिवार संवत 2061 से इस शिवलिंग की पूजा प्रारंभ की गई। पूजा प्रारंभ होने के बाद से ही यहां आनेकानेक चमत्कार होते गए।


वर्तमान में यहां भव्य श्री महाकाल धाम का निर्माण कराया गया है। श्री महाकाल धाम में आज नारायण नागबली, कालसर्प दोष, पितृ तर्पण, अर्पण और तमाम तरह के हिंदू कर्मकांडों को किए जाने के साथ ही यह आध्यात्म का नया केंद्र बिंदु बन गया है।


सिक्किम के संत कनकधारी स्वामी स्वदेशानंद ने अमलेश्वर का अर्थ बताते हुए लिखा कि मलम इति अमलम अर्थात पाप रहित परमात्मा ही अमलेश्वर है। यह पुराणों में उल्लेखित है। एक बार विंध्य पर्वत ने पार्थिव शिवलिंग के साथ भगवान शिव की 6 महीने तक कठिन उपासना की।


प्रसन्न होकर भगवान शिव ने विंध्य को वर दिया। इस तपस्या में ऋषि मुनि भी आए थे उनकी प्रार्थना पर शिव ने अपने ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दो भाग किए। एक का नाम ओंकारेश्वर और दूसरे का अमलेश्वर पड़ा। पुराणों में अमलेश्वर का स्पष्ट उल्लेख है। 

Related News
thumb

सालेम इंग्लिश स्कूल के बच्चों ने लहराया परचम

सोमवार 6 मई 2024 को सीआईएससीई (काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन) का परीक्षा परिणाम जारी किया गया। इसमें राजधानी के द रेडियंट वे, र...


thumb

6 मई का इतिहास : आज ही के दिन हुआ था मोतीलाल नेहरू का जन्म

दुनिया में 5 मई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। may 6 in indi...


thumb

वैक्सीन पर सतर्कता से विचार की जरुरत

जब कोरोना वैक्सीन को लेकर शिकायतों और चर्चा का माहौल गरम है, तो अन्य सभी वैक्सीनों पर पूरी सतर्कता के साथ विचार करने की जरूरत है। Need to carefully...


thumb

5 मई का इतिहास: आज ही के दिन हुआ था संगीतकार नौशाद अली का निधन

दुनिया में 5 मई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। May 5 in Indi...


thumb

4 मई का इतिहास: आज ही के दिन हुआ था पंडित किशन महाराज का निधन

दुनिया में 4 मई का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं। May 4 in Indi...


thumb

3 मई का इतिहास: आज ही के दिन हुआ था प्रसिद्ध अभिनेत्री नर्गिस का निधन

गणित की दुनिया का प्रतिष्ठित सम्मान फील्ड्स मेडल पाने वाली पहली महिला गणितज्ञ मरियम मिर्ज़ाख़ानी का जन्म। भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री नर्गि...