पीईकेबी खदान के रेकलैमेड क्षेत्र में किया गया 400 से अधिक पौधों का रोपण

26-April-2024

अंबिकापुर। अदाणी फाउंडेशन द्वारा जिले के उदयपुर ब्लॉक में 22 अप्रैल 2024 को पृथ्वी दिवस मनाया गया। पृथ्वी दिवस 2024 की थीम ‘पृथ्वी बनाम प्लास्टिक’ पर अदाणी इन्टरप्राइसेस के पर्यावरण विभाग और अदाणी फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से ग्राम साल्ही के अदाणी विद्या मंदिर और ग्राम तारा के आदिवासी कन्या आश्रम में प्रोजेक्ट उत्थान के तहत दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए गए।


इन दो दिनों में कुल 500 छात्रों ने पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर अपने रचनात्मकता और ज्ञान का प्रदर्शन करने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस मौके पर राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड के पर्यावरण संरक्षण की एक मुहिम के तहत परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) खदान के 0.143 हेक्टेयर रेकलैमेड क्षेत्र में 400 से अधिक पौधों का रोपण भी किया गया। पृथ्वी दिवस मनाने का उद्देश्य छात्रों के बीच पृथ्वी ग्रह को संरक्षित करने में व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डालते पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।


इस अवसर पर आयोजन के पहले दिन अदाणी फाउंडेशन के प्रोजेक्ट उत्थान के तहत ग्राम परसा और तारा में रंगोली और निबंध प्रतियोगिता के साथ समारोह की शुरुआत की गई। जबकि सोमवार को अदाणी विद्या मंदिर, साल्ही में ‘पृथ्वी बनाम प्लास्टिक’ विषय पर केंद्रित भाषण, निबंध, ड्राइंग, रंगोली और नारा लेखन सहित कई प्रतियोगिताओं आयोजित की गई। कार्यक्रम में आदिवासी कन्या आश्रम की प्रभारी श्रीमती ज्योति गुप्ता, अदाणी विद्या मंदिर के शिक्षक श्री जितेंद्र मेहर, पर्यावरण विभाग से अविनाश कुमार, और सीएसआर विभाग से सौरभ सिंह मौजूद थे। प्रतियोगिता में शीर्ष तीन में स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।


अदाणी समूह द्वारा सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में पाँच सितारा पुरस्कार से सम्मानित आरआरवीयूएनएल की पीईकेबी खदान के आसपास के ग्रामों में अदाणी फाउंडेशन के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना विकास तथा आजीविका उन्नयन के कई कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिनमें 900 से अधिक आदिवासी बच्चों को केन्द्रीय शिक्षा मण्डल की अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्ता युक्त निःशुल्क शिक्षा सहित पौष्टिक भोजन, गणवेश, किताब, कापी स्कूल बैग इत्यादि भी प्रदान कर रहा है। साथ ही स्थानीय युवाओं और महिलाओं को आत्मनर्भर बनाने कौशल विकास केंद्र में कई जीविकोपार्जन पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।


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