छत्तीसगढ़ की सुगंधित चावल प्रजाति नगरी दुबराज को मिली वैश्विक पहचान

29-March-2023

रायपुर, 29 मार्च 2023 । Nagari Dubraj gets GI tag : छत्तीसगढ़ की सुगंधित चावल प्रजाति नगरी दुबराज को वैश्विक पहचान मिल गयी है। भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार प्राधिकरण द्वारा नगरी दुबराज को भौगोलिक उपदर्शन अधिकार (GI Tag) प्रदान किया गया है।


इससे पहले वर्ष 2019 में सरगुजा जिले के जीरा फूल चावल को जीआई टैग मिला था।  मिली जानकारी केमुताबिक भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार प्राधिकरण ने धमतरी जिले के ग्राम बगरूमनाला, नगरी के नगरी दुबराज उत्पादक महिला स्व-सहायता समूह मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह को नगरी दुबराज के लिए जीआई टैग प्रदान किया है।


छत्तीसगढ़ के बासमती के रूप में विख्यात नगरी दुबराज चावल राज्य की पारंपरिक, सुगंधित धान प्रजाति है, जिसकी छत्तीसगढ़ के बाहर भी काफी प्रसिद्धि तथा मांग है।


जीआई टैग मिलने से होगा यह लाभ

  • नगरी दुबराज चावल को जीआई टैग मिलने से अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर इसके निर्यात की मांग बढ़ जाएगी।
  • इससे धमतरी जिले विशेषकर नगरी के किसानों को इस चावल के व्यापारीकरण का विशेषाधिकार मिल जाएगा।
  • जीआई टैग प्रदान किये जाने से नगरी दुबराज चावल के विपणन एवं निर्यात में आसानी होगी।


क्या है जीआई टैग

जीआई टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार होता है जिसमें किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता एवं महत्ता उस स्थान विशेष के भौगोलिक वातावरण से निर्धारित की जाती है। इसमें उस उत्पाद के उत्पत्ति स्थान को मान्यता प्रदान की जाती है।


इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने किया प्रयास

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विगत कुछ वर्षां से नगरी दुबराज को जी.आई. टैग की प्राप्ति हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे थे। नगरी दुबराज को जी.आई. टैग अधिकार दिलवाने में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा इस संबंध में बौद्धिक संपदा अधिकार प्राधिकरण के साथ निरंतर पत्राचार किया है।


धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है नगरी दुबराज

नगरी दुबराज का उत्पत्ति स्थल सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र को माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रृंगी ऋषि आश्रम का संबंध राजा दशरथ द्वारा संतान प्राप्ति हेतु आयोजित पुत्रेष्ठि यज्ञ तथा भगवान राम के जन्म से जुड़ा हुआ है। विभिन्न शोध पत्रों में दुबराज चावल का उत्पत्ति स्थल नगरी सिहावा को ही बताया गया है।


पूरा हुआ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का वायदा

पिछले कुछ वर्षां से नगरी क्षेत्र में दुबराज चावल की खेती रकबा निरंतर कम हो रहा था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले वर्ष नगरी के किसानों को दुबराज की खुशबु लौटाने का वायदा किया था। अब इसे जीआई टैग मिलने से पूर्ण होना संभव हो सकेगा। राज्य के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने नगरी दुबराज को जीआई टैग मिलने पर कृषक उत्पादक समूह को बधाई एवं शुभकानाएं दी हैं।

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