छत्तीसगढ़ में सीधे विष्णु सरकार के हाथ होगी पांच प्राधिकरणों की कमान

20-June-2024

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में 19 जून 2024 को मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन निर्णयों में बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरणों के पुनर्गठन का निर्णय सबसे प्रमुख है।

इस पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य पांचों प्राधिकरणों की कार्य प्रणाली को प्रभावी एवं सशक्त बनाना है, जिससे उन क्षेत्रों में जनसुविधाओं के कामों को गति प्रदान की जा सके। अब इन प्राधिकरणों की कमान सीधे मुख्यमंत्री के जिम्मे होगी। स्थानीय विधायकों में से एक विधायक को उपाध्यक्ष मनोनीत किया जाएगा, जबकि क्षेत्रीय विधायक इन प्राधिकरणों के सदस्य होंगे। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अथवा सचिव इन प्राधिकरणों के सदस्य सचिव होंगे।

वर्ष 2004-05 में बस्तर, सरगुजा एवं अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन तत्कालीन सरकार द्वारा किया गया था। वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया। इन प्राधिकरणों के गठन के बाद अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों, अनुसूचित जाति बाहुल्य ग्रामों, मजरा-टोला, पारा-मोहल्लों, वार्डों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आवश्यकताओं के अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए गए थे।

वर्ष 2019 में तत्कालीन सरकार द्वारा इन प्राधिकरणों के कार्य संचालन की प्रक्रिया में बदलाव किया गया, जिससे प्राधिकरणों का महत्व कम हो गया। इसके चलते कार्याें में पारदर्शिता और मॉनिटरिंग का अभाव हो गया और शासन स्तर पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रहा। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट ने प्राधिकरणों के पुनर्गठन एवं निधि नियम के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

प्राधिकरण के माध्यम से होने वाले विकास कार्यों के लिए बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण के लिए 50-50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के लिए 80 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 23 फरवरी, 2024 को पारित अशासकीय संकल्प के तहत प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में भी, जहां अनुसूचित जनजातियों की 25 प्रतिशत से अधिक बहुलता है, उन क्षेत्रों के गांवों एवं ब्लाकों को मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के क्षेत्रों में शामिल किया गया है। 

प्राधिकरण अपना कार्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों से सुझाव प्राप्त कर, मतैक्य से मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप करेंगे। प्राधिकरण को सशक्त, पारदर्शी एवं प्रभावशाली बनाया जाएगा और इसका ध्यान सामाजिक, आर्थिक एवं सर्वागीण विकास पर केन्द्रित रहेगा।

छत्तीसगढ़ कैबिनेट के इस निर्णय से राज्य के आदिवासी और पिछड़ा वर्ग क्षेत्रों में विकास की नई लहर आ सकती है। प्राधिकरणों का पुनर्गठन और निधि प्रावधान इन क्षेत्रों के जनसुविधाओं में सुधार और समग्र विकास को गति देंगे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में यह पहल राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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