छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में 23 जून 2024 को हुए आईईडी विस्फोट ने एक बार फिर से नक्सली हिंसा की क्रूरता और हमारे सुरक्षा बलों की चुनौतियों को उजागर कर दिया है। सिलगेर और टेकुलागुडेम के बीच हुए इस विस्फोट में सीआरपीएफ कोबरा 201 बटालियन के दो जवान शहीद हो गए। यह घटना न केवल उन वीर जवानों के परिवारों के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
सुकमा जिला लंबे समय से नक्सली हिंसा का केंद्र रहा है। यहां के वन क्षेत्र और दुर्गम पहाड़ियां नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन चुकी हैं। स्थानीय जनसंख्या के बीच असंतोष और सरकारी योजनाओं की असफलता ने नक्सलियों को और अधिक ताकतवर बना दिया है। हालांकि सरकार और सुरक्षा बलों ने इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन नक्सली हिंसा लगातार जारी है।
नक्सलियों द्वारा किए गए इस प्रकार के हमले हमारे सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। आईईडी विस्फोट जैसे हमले न केवल जवानों के जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं, बल्कि स्थानीय जनता में भी डर और असुरक्षा का माहौल बनाते हैं। इससे विकास कार्यों में भी बाधा आती है, जिससे क्षेत्र की प्रगति रुक जाती है।
इस घटना में शहीद हुए जवानों की वीरता को नमन करते हुए, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनकी शहादत ने हमें नक्सली समस्या की गंभीरता का एहसास कराया है। उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह इन क्षेत्रों में विकास कार्यों को तेज करे, स्थानीय जनता की समस्याओं का समाधान करे और सुरक्षा बलों के लिए बेहतर संसाधनों और तकनीकी सहयोग की व्यवस्था करे।
इसके साथ ही, हमें नक्सली समस्या का समाधान केवल सैन्य बल से नहीं, बल्कि समग्र विकास और संवाद के माध्यम से भी करना होगा। स्थानीय समुदायों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करना, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना, और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।
शहीद जवानों के परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएं और समर्थन व्यक्त करते हुए, हम यह आशा करते हैं कि सरकार और समाज मिलकर नक्सली समस्या का स्थायी समाधान खोजने में सफल होंगे। शांति और विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा, ताकि ऐसे दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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